मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
एकाएक न जाने क्यों अलादीन को अब मन-ही-मन वहाँ के माहौल से खौफ-सा लगने लगा था। वह महसूस कर रहा था जैसे कोई-न-कोई अनहोनी जरूर होने वाली है। वे दोनों कुछ ही आगे बढ़े थे कि अचानक अलादीन मारे खौफ से बुरी तरह चीख पड़ा- “चचा जान...ऽऽऽ!”
"क्या हुआ बेटा...?"
“वो...वो देखिये!” अलादीन ने उंगली उठाकर एक तरफ इशारा किया।
सौदागर ने उस ओर देखा, जिधर अलादीन ने इशारा किया था, तो उसकी आँखों में शैतानी चमकं उभर आयी। उस जगह पर एक पेड़ के नीचे कई आदमियों के कंकाल और खोपड़ियां पड़ी हुई थीं।
“वाह! वाह!! इसका मतलब है कि हम एकदम सही जगह पर पहुँच गयै हैं।”
"कैसी सही जगह चचा ज्ञान...आखिर...आप मुझे ले कहीं जा रहे हैं?" अलादीन ने डर से सहमकर पूछते हुए कहा--"जरा देखिये यहाँ का माहौल कितना खौफनाक है।”
“बेटे अलादीन! मुझे तो खुद नहीं पता था कि हम कहाँ बढ़े जा रहे हैं, लेकिन लगता है कि अल्लाह की मर्जी से हम इधर आ गये हैं।”
“आपके कहने का क्या मतलब है चचा जान?”
“मतलब यह है मेरे बेटे! जहाँ हम खड़े हैं यहाँ पर एक खजाना है। ऐसा खजाना जिसे पा लेने के बाद आदमी के लिये दुनिया में फिर कुछ भी पा लेना बाकी नहीं रहता। एक बार तुम्हारे अब्बू ने मुझे इस खजाने के बारे में बताया था और कहा था कि अगर ज़िन्दगी में तुम कभी उस खजाने तक पहुँच जाओ तो किसी भी तरह वह चिराग जरूर हासिल करना जिससे ज़िन्दगी की हर ख्वाहिश पूरी हो जाती है। लेकिन मेरे बच्चे, किसी भी गुनाहगार और मक्कार आदमी को वह चिरागं हासिल नहीं हो सकता। उसे तो तुम जैसा सच्चा आदमी ही हासिल कर सकता है और जरा इधर देखो...।” सौदागर ने कंकाल और खोपड़ियों की तरफ इशारा करके कहा-“ये जो आदमियों के कंकाल और खोपड़ियां तुम देख रहे हो न, ये उन्हीं गुनाहगार लोगों की हैं। जिन्होंने इस खजाने को हासिल करने की कोशिश की।”
मगर चचा जान! मुझे तो यहाँ पर कहीं भी कोई चिराग नज़र नहीं आ रहा है?” अलादीन हैरानी में भरकर इधर-उधर देखने लगा।
“अरे मेरे बेटे! खुदा ने उस कीमती खजाने की बड़ी सख्त हिफाज़त की हुई है। मैं तुम्हें दिखाता हूँ।” इतना कहकर वह सौदागर अपने घोड़े से उतरा, फिर उसने वहीं से मुट्ठीभर मिट्टी उठायी और उस मिट्टी को हाथ में लेकर मन-ही-मन कुछ बुदबुदाया फिर उसने उस मिट्टी को जोर से ज़मीन पर पटक दिया।
मिट्टी का ज़मीन पर पटकना था कि एकदम से जोरदार धमाका हुआ और जमीन उस स्थान पर फट गयी जहाँ मिट्टी पटकी गयी थी।
जमीन के फटते ही अलादीन की आँखें भी हैरत से फटती चली गयीं। आज वृहं अपने चचा के नये-नये रूप देख रहा था।
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