मनोरंजक कथाएँ >> हंसेल और ग्रेटेल हंसेल और ग्रेटेलए.एच.डब्यू. सावन
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बच्चों के लिए रोचक और मनोरंजक कहानी का वर्णन
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हंसेल और ग्रेटेल
एक समय की बात है, घने और अंधेरे जंगल के एक छोर पर एक लकड़हारा रहता था,
अपनी दूसरी पत्नी व पहली पत्नी से जन्मे दो बच्चों के साथ। बच्चे थे, बेटा
हंसेल और बेटी ग्रेटेल। अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद लकड़हारे ने
दूसरा विवाह किया था, परंतु दूसरी पत्नी बच्चों के लिए वास्तव में
‘सौतेली’ सिद्ध हुई। उसके दिल में हंसेल और ग्रेटेल
के प्रति
लेशमात्र भी प्रेम न उपजा।
हर दिन लकड़हारा लकड़ी काटने जंगल जाता, क्योंकि वही उसकी रोटी-रोजी का एक मात्र साधन था। वह खूब परिश्रम करता, खूब पसीना बहाता, पर आय अधिक न होती। परिवार को मुश्किल से ही दोनों समय भोजन नसीब होता।
एक दिन रात के समय जब हंसेल व ग्रेटेल सोने चले गए तो लकड़हारे ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘कल बच्चों को क्या खिलाओगी ? घर में तो कुछ बचा ही नहीं है।’’
निष्ठुर पत्नी ने बुरा-सा मुंह बनाया, ‘‘कहां से लाकर खाना खिलाएं उन्हें ?’’ फिर बोली, ‘‘न पैसे हैं और न खाने का कोई सामान। दोनों कैसे हट्टे-कट्टे हैं। खुद कमा कर खा सकते हैं। कल किसी बहाने हम उन्हें जंगल में ले जाएंगे और वहीं छोड़ देंगे। उनकी अपनी किस्मत। बात खत्म !’’
हर दिन लकड़हारा लकड़ी काटने जंगल जाता, क्योंकि वही उसकी रोटी-रोजी का एक मात्र साधन था। वह खूब परिश्रम करता, खूब पसीना बहाता, पर आय अधिक न होती। परिवार को मुश्किल से ही दोनों समय भोजन नसीब होता।
एक दिन रात के समय जब हंसेल व ग्रेटेल सोने चले गए तो लकड़हारे ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘कल बच्चों को क्या खिलाओगी ? घर में तो कुछ बचा ही नहीं है।’’
निष्ठुर पत्नी ने बुरा-सा मुंह बनाया, ‘‘कहां से लाकर खाना खिलाएं उन्हें ?’’ फिर बोली, ‘‘न पैसे हैं और न खाने का कोई सामान। दोनों कैसे हट्टे-कट्टे हैं। खुद कमा कर खा सकते हैं। कल किसी बहाने हम उन्हें जंगल में ले जाएंगे और वहीं छोड़ देंगे। उनकी अपनी किस्मत। बात खत्म !’’
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