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अब्दुल अज़ीज़

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2003
अनुवादक : अब्दुल अज़ीज़ संपादक :
पृष्ठ :110
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 481
आईएसबीएन :81-237-2968-5

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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक

Gaban - A hindi Book by - Abdul Aziz ग़बन - अब्दुल अज़ीज़

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बरसात के दिन है। अभी तीसरा ही पहर है पर ऐसा लगता है जैसे शाम हो गयी। आमों के बाग में झूला पड़ा हुआ है। लड़कियां भी झूल रही हैं और उनकी माएं भी। उस समय एक बिसाती आकर झूले के पास खड़ा हो गया। उसे देखते ही झूला छोड़कर छोटी-बड़ी सब लड़कियों ने उसे घेर लिया। बिसाती ने बक्स खोला और चमकती हुई चीजें निकाल कर दिखाने लगा। सभी ने अपनी-अपनी पसंद की चीजें छांटनी शुरु की। एक बड़ी-बड़ी आँखों वाली लड़की ने वह चीज़ पसंद थी जो उनमें सबसे ज्यादा सुन्दर थी। वह फिरोजी रंग का चंदन हार था। माँ ने बिसाती से दाम पूछे, उसने बीस आने बताये। ....

......थोड़ी देर बाद राम भी पानी से निकला और मातम में डूबा घर की ओर चला। उसके बाद वह और जालपा प्रायः नदी के किनारे आ बैठते और जहाँ जोहरा डूबी थी वहाँ घंटों देखा करते।


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