नाटक-एकाँकी >> हैमलेट हैमलेटशेक्सपियर
|
3 पाठकों को प्रिय 292 पाठक हैं |
Hamlet का हिन्दी रूपान्तर....
Hamlet - A Hindi Book by Shakespeare
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
विश्व साहित्य के गौरव, अंग्रेज़ी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 ई. को इंग्लैंड के स्ट्रैटफोर्ड-ऑन-एवोन नामक स्थान में हु्आ। उनके पिता एक किसान थे और उन्होंने कोई बहुत उच्च शिक्षा भी प्राप्त नहीं की। इसके अतिरिक्त शेक्सपियर के बचपन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। 1582 ई. में उनका विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐनहैथवे से हुआ। 1587 ई. में शेक्सपियर लंदन की एक नाटक कम्पनी में काम करने लगे। वहाँ उन्होंने अनेक नाटक लिखे जिनसे उन्होंने धन और यश दोनों कमाए। 1616 ई. में उनका स्वर्गवास हु्आ।
प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया है, जो इस सीरीज में पाठको को उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया है, जो इस सीरीज में पाठको को उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
शेक्सपीयर
विश्व-साहित्य के गौरव, अंग्रेजी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 ई. में स्ट्रैटफोर्ड-ऑन-एवोन नामक स्थान में हुआ। उसकी बाल्यावस्था के विषय में बहुत कम ज्ञात है। उसका पिता एक किसान का पुत्र था, जिसने अपने पुत्र की शिक्षा का अच्छा प्रबन्ध भी नहीं किया। 1582 ई. में शेक्सपियर का विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐन हैथवे से हुआ और सम्भवत: उसका पारिवारिक जीवन सन्तोषजनक नहीं था। महारानी एलिज़ाबेथ के शासनकाल में 1587 ई. में शेक्सपियर लन्दन जाकर नाटक कम्पनियों में काम करने लगा। हमारे जायसी, सूर और तुलसी का प्राय: समकालीन यह कवि यहीं आकर यशस्वी हुआ और उसने अनेक नाटक लिखे, जिनसे उसने धन और यश दोनों कमाए। 1612 ई. में उसने लिखना छोड़ दिया और अपने जन्म-स्थान को लौट गया और शेष जीवन उसने समृद्धि तथा सम्मान से बिताया। 1616 ई. में उसका स्वर्गवास हुआ। इस महान नाटककार ने जीवन के इतने पहलुओं को इतनी गहराई से चित्रित किया है कि वह विश्व-साहित्य में अपना सानी सहज ही नहीं पाता। मारलो तथा बेन जानसन जैसे उसके समकालीन कवि उसका उपहास करते रहे, किन्तु वे तो लुप्तप्रायः हो गए; और यह कविकुल दिवाकर आज भी देदीप्यमान है।
शेक्सपियर ने लगभग 36 नाटक लिखे हैं, कविताएँ अलग। उसके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं-जूलियस सीज़र, ऑथेलो, मैकबेथ, हैमलेट, सम्राट लियर, रोमियो जूलियट (दु:खान्त) एक सपना (ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम) वेनिस का सौदागर, बारहवीं रात, तिल का ताड़ (मच एडू अबाउट नथिंग), तूफान (सुखान्त)। इनके अतिरिक्त ऐतिहासिक नाटक तथा प्रहसन भी हैं। प्रायः उसके सभी नाटक प्रसिद्ध हैं।
शेक्सपियर ने मानव-जीवन की शाश्वत भावनाओं को बड़े ही कुशल कलाकार की भाँति चित्रित किया है। उसके पात्र आज भी जीवित दिखाई देते हैं। जिस भाषा में शेक्सपियर के नाटक का अनुवाद नहीं है वह उन्नत भाषाओं में कभी नहीं गिनी जा सकती।
शेक्सपियर ने लगभग 36 नाटक लिखे हैं, कविताएँ अलग। उसके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं-जूलियस सीज़र, ऑथेलो, मैकबेथ, हैमलेट, सम्राट लियर, रोमियो जूलियट (दु:खान्त) एक सपना (ए मिडसमर नाइट्स ड्रीम) वेनिस का सौदागर, बारहवीं रात, तिल का ताड़ (मच एडू अबाउट नथिंग), तूफान (सुखान्त)। इनके अतिरिक्त ऐतिहासिक नाटक तथा प्रहसन भी हैं। प्रायः उसके सभी नाटक प्रसिद्ध हैं।
शेक्सपियर ने मानव-जीवन की शाश्वत भावनाओं को बड़े ही कुशल कलाकार की भाँति चित्रित किया है। उसके पात्र आज भी जीवित दिखाई देते हैं। जिस भाषा में शेक्सपियर के नाटक का अनुवाद नहीं है वह उन्नत भाषाओं में कभी नहीं गिनी जा सकती।
भूमिका
हैमलेट शेक्सपियर का एक अत्यन्त विख्यात दुःखान्त नाटक है। यह उसके रचनाकाल के तीसरे युग की रचना है, जब उसने जूलियस सीजर, ऑथलो, सम्राट लियर, मैकबेथ, एण्टनी एण्ड क्लियोपैट्रा केरियोलैनेस, टाइमन ऑफ एथेन्स नामक दुःखान्त नाटक लिखे थे। इतना घोर अवसाद 1601 से 1609 ई. तक कवि पर छा गया था कि उसने व्यक्ति वैचित्र्य वाले पात्रों का सिरजन किया, किन्तु उस ऊँचाई पर उनका चित्रण किया कि अपनी असाधारण मेधा से उस सबका सहज साधारणीकरण कर दिया। यहाँ कला ने अपना स्वरूप कलाकार के कृतित्वाभिमान के नीचे से नहीं निकाला, जिसमें कलाकार बड़ा चतुर बनकर अपनी सीमाओं को न पहचानकर अपने अहं को बड़ा करके देखने लगता है। यहाँ तो कला एक स्वाभाविक भाव-सिरजन के रूप में प्रकटी है और उसमें व्यक्तित्व की कुण्ठा ने कहीं भी अभिव्यक्ति को खण्डित नहीं किया है।
शेक्सपियर के जिन चार प्रसिद्ध दुःखान्त नाटकों पर अधिक लिखा गया है, वे ऑथेलो, सम्राट लियर, मैकबेथ और हैमलेट हैं। यद्यपि हैमलेट में यह दोष लगाया जाता है कि नायक के आत्मकथन लम्बे हैं और गति को रोकते हैं, मैं समझता हूँ, इतने सशक्त कथन साहित्य में शायद ही निकलें। जॉर्ज बर्नाड शॉ को एक बड़ा आश्चर्य हुआ करता था। वे कहते थे कि शेक्सपियर ने मूर्ख पात्रों को प्रस्तुत किया, पता नहीं संसार इन्हीं मूर्ख पात्रों को शताब्दियों से सहन कैसे कर सकता है ? हैमलेट भी ऐसा ही मूर्ख था जिसके पास बकबक करने और जीवन का रहस्य खोजने के अतिरिक्त और कोई समस्या ही नहीं थी।
परन्तु यह कहना कि हैमलेट मूर्ख था, पात्र को न समझने के बराबर है। अचानक चौंका देने वाली बात का यश प्राप्त करना, गम्भीर आलोचना नहीं, जैसे मेरे एकमित्र ने शॉ की नकल को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि हैमलेट एक सुखान्त नाटक है। मेरी अपनी राय है कि इलियट और शॉ दोनों शेक्सपियर के सामने बालक हैं, क्योंकि शेक्सपियर ने मानव के मूलरूप को देखा था, सामाजिक विकास के अन्तर्गत रखकर, जबकि बाकी दोनों मानव के बाह्य और अन्तर को परस्पर विरोधी स्वरूपों में रखकर देखते हैं। इसीलिए शेक्सपियर विश्व-साहित्य का एक विशाल दीपस्तम्भ है।
दुःखान्त नाटकों में शेक्सपियर की विशेषता है, उसके बाह्य प्रकृति को आन्तरिक प्रकृति के तादात्म्य में लाने की चेष्टा करना और वातारवण का सृजन करना, हैमलेट में उसने रहस्यात्मकता की सृष्टि की है। अपने अन्य नाटकों की भाँति उसने पुरुष का ही यहाँ भी अध्ययन किया है, जबकि उसकी स्त्री पात्री अनुभूति की एक झलक-मात्र से सामने आई हैं।
हैमलेट की कथा शेक्सपियर से पहले ही लिखी जा चुकी थी। सैक्सोग्रैमैटिक्स की हिस्टोरिया डैविक में यह पेरिस में 1514 ई. में छपी थी। यद्यपि इसका लेखनकाल बारहवीं शती था। बाद में यह फ्रेंच में आई और सम्भवतः शेक्सपियर ने उसी को अपने नाटक का आधार बनाया था। कुछ का मत है कि अंग्रेजी में ही हैमलेट एक पुराना नाटक और भी था जो शेक्सपियर के नाटक के पहले खेला जाता था। जो भी हो, शेक्सपियर की महानता, कभी उसके कथानकों की नवीनता में नहीं रही, वह रही है, वह रही है उसके सफल चरित्र-चित्रण में, जिसमें उसके युग ने भूतों को भी रखा है, जिससे कथानक काफी डरावने-से लगते हैं। एक विद्वान ने ठीक ही कहा है कि हैमलेट प्रतिहिंसा का दुःखमय अन्त नहीं, मानव-आत्मा का दुःखान्त है, जिसमें मनुष्य के उदात्ततम गुण संसार की नीचता और कुटिलता से कुचले जाते हैं। मनुष्य जीवन के जो सार्वजनीन सत्य हैमलेट में प्रतिपादित हैं, वैसे अन्यत्र कम ही मिलते हैं।
शेक्सपियर के जिन चार प्रसिद्ध दुःखान्त नाटकों पर अधिक लिखा गया है, वे ऑथेलो, सम्राट लियर, मैकबेथ और हैमलेट हैं। यद्यपि हैमलेट में यह दोष लगाया जाता है कि नायक के आत्मकथन लम्बे हैं और गति को रोकते हैं, मैं समझता हूँ, इतने सशक्त कथन साहित्य में शायद ही निकलें। जॉर्ज बर्नाड शॉ को एक बड़ा आश्चर्य हुआ करता था। वे कहते थे कि शेक्सपियर ने मूर्ख पात्रों को प्रस्तुत किया, पता नहीं संसार इन्हीं मूर्ख पात्रों को शताब्दियों से सहन कैसे कर सकता है ? हैमलेट भी ऐसा ही मूर्ख था जिसके पास बकबक करने और जीवन का रहस्य खोजने के अतिरिक्त और कोई समस्या ही नहीं थी।
परन्तु यह कहना कि हैमलेट मूर्ख था, पात्र को न समझने के बराबर है। अचानक चौंका देने वाली बात का यश प्राप्त करना, गम्भीर आलोचना नहीं, जैसे मेरे एकमित्र ने शॉ की नकल को आगे बढ़ाते हुए कहा था कि हैमलेट एक सुखान्त नाटक है। मेरी अपनी राय है कि इलियट और शॉ दोनों शेक्सपियर के सामने बालक हैं, क्योंकि शेक्सपियर ने मानव के मूलरूप को देखा था, सामाजिक विकास के अन्तर्गत रखकर, जबकि बाकी दोनों मानव के बाह्य और अन्तर को परस्पर विरोधी स्वरूपों में रखकर देखते हैं। इसीलिए शेक्सपियर विश्व-साहित्य का एक विशाल दीपस्तम्भ है।
दुःखान्त नाटकों में शेक्सपियर की विशेषता है, उसके बाह्य प्रकृति को आन्तरिक प्रकृति के तादात्म्य में लाने की चेष्टा करना और वातारवण का सृजन करना, हैमलेट में उसने रहस्यात्मकता की सृष्टि की है। अपने अन्य नाटकों की भाँति उसने पुरुष का ही यहाँ भी अध्ययन किया है, जबकि उसकी स्त्री पात्री अनुभूति की एक झलक-मात्र से सामने आई हैं।
हैमलेट की कथा शेक्सपियर से पहले ही लिखी जा चुकी थी। सैक्सोग्रैमैटिक्स की हिस्टोरिया डैविक में यह पेरिस में 1514 ई. में छपी थी। यद्यपि इसका लेखनकाल बारहवीं शती था। बाद में यह फ्रेंच में आई और सम्भवतः शेक्सपियर ने उसी को अपने नाटक का आधार बनाया था। कुछ का मत है कि अंग्रेजी में ही हैमलेट एक पुराना नाटक और भी था जो शेक्सपियर के नाटक के पहले खेला जाता था। जो भी हो, शेक्सपियर की महानता, कभी उसके कथानकों की नवीनता में नहीं रही, वह रही है, वह रही है उसके सफल चरित्र-चित्रण में, जिसमें उसके युग ने भूतों को भी रखा है, जिससे कथानक काफी डरावने-से लगते हैं। एक विद्वान ने ठीक ही कहा है कि हैमलेट प्रतिहिंसा का दुःखमय अन्त नहीं, मानव-आत्मा का दुःखान्त है, जिसमें मनुष्य के उदात्ततम गुण संसार की नीचता और कुटिलता से कुचले जाते हैं। मनुष्य जीवन के जो सार्वजनीन सत्य हैमलेट में प्रतिपादित हैं, वैसे अन्यत्र कम ही मिलते हैं।
- रांगेय राघव
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book