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आजादी की लड़ाई में आजाद हिन्द फौज

शिशिर कुमार बसु

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 484
आईएसबीएन :81-237-2910-3

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हमारे देश के पाँच हजार वर्षों के इतिहास को अच्छी तरह समझने के बाद नेताजी सुभाषचंद बोस नतीजों पर पहुँचे थे।

Azadi ki Ladai Mein Azad Hind Fauz - A hindi Book by - Shishir Kumar Basu आजादी की लड़ाई में आजाद हिन्द फौज - शिशिर कुमार बसु

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

एक

हमारे देश के पांच हजार वर्षों के इतिहास को अच्छी तरह समझने के बाद नेताजी सुभाषचन्द्र बोस नतीजों पर पहुंचे थे।
पहली बात, जिस पर उन्होंने ध्यान दिलाया था कि दूसरे देशों और जातियों की भांति ही हम लोगों का भी इतिहास बनने और बिगड़ने का रहा है।

दूसरी बात, हम लोगों का पतन भी तभी हुआ जब देश और जाति के लिए हम लोगों ने सोचना-विचारना ही नहीं छोड़ा बल्कि अपनी सैनिक ताकत की कमजोरी का फायदा उठाकर दो सौ साल पहले अंग्रेजों ने व्यापार के बहाने हमारे देश में अपनी जड़े मजबूत कर लीं।

सन् 1857 में देश के अलग-अलग जगहों में छिटपुट रूप में अंग्रेजों के खिलाफ सैनिक आंदोलन छेड़ा गया, जिसे सिपाही विद्रोह के रूप में जाना जाता है। लेकिन एक संगठन कुशल अच्छे नेता के अभाव में यह विद्रोह असफल हो गया।

इसके बाद अंग्रजों ने हमसे हमारे हथियार रखवा लिए और ब्रिटिश शासन की राजधानी लंदन से इस देश पर शासन चलाने लगे। उन्होंने पूरे देश की हुकूमत और भारतीय सेनाओं के प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि इतिहास में पहली बार भारतवासी पूरी तौर से किसी विदेशी ताकत का गुलाम बनने के लिए विवश हो गए।


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