हास्य-व्यंग्य >> आदमी और बूट आदमी और बूटके.एल.गर्ग
|
3 पाठकों को प्रिय 256 पाठक हैं |
श्री गर्ग बुराइयों पर सजगता के साथ प्रहार करते हैं। श्री गर्ग की व्यंग्य रचनाएँ एक तरह से विसंगतियों का कोलाज हैं।
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: 10page.css
Filename: books/book_info.php
Line Number: 553
|
लोगों की राय
No reviews for this book