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हमारी नदियां

जे. मंगलराज जान्सन

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 491
आईएसबीएन :81-237-3407-7

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भारतवर्ष के घर-घर में नदियां बहती हैं। देश में बहने वाली गंगा, कावेरी, यमुना, पद्मा इन नामों के साथ हमारी माताएं, बेटियां और नानी-दादियां भारत के घर-घर में चल-फिर रहीं हैं न?

Hamari Nadiyan - A hindi Book by - j. mangalraj Johnson - हमारी नदियां - जे. मंगलराज जान्सन

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आमुख

भारत वर्ष के घर-घर में नदियां बहती हैं। देश में बहने वाली गंगा, कावेरी, यमुना, पद्मा इन नामों के साथ हमारी माताएँ बेटियां और नानी-दादियां भारत के घर-घर में चल फिर रही हैं न ?

हिंदुस्तान की विभिन्न नदियों से सिंचित देश की धरती सोना उगलती है। हजारों सालों से नदियों के किनारे बस्तियां और नगर आबाद हैं सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ है कल-कारखाने और उद्योग धंधे पनपे हैं। यह सब नदियों की देन है।
भारत के पर्वतों की रचना नदियों की बनावट और बहाव पर प्रभाव डालती है।

उत्तर दिशा में पूरब से लेकर पश्चिम तक आड़े खड़ा विशाल हिमालय, बर्फीली चट्टानों पर लगातार हो रही हिमवर्षा, हिमालय में जहां-तहां बने दर्रे और दरार ये सब नदियों के उद्गम और बहाव की दिशा को नियंत्रित करते हैं। हिमालय से सटकर नीचे की ओर पूरब से पश्चिम को चलता शिवालिक पहाड़ों का सिलसिला गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र के बहाव और उनकी दिशा को तय करता है।

पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट समांतर चलते हुए कहीं पास-पास आते हैं तो कहीं एक-दूसरे से काफी दूर चले जाते हैं। इससे दक्षिण की नदियों की रचना और बहाव नियंत्रित होता है। पश्चिमी घाट की पर्वत-श्रेणियां समुंदर के पास ऊँचाई के साथ खड़ी हैं।


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