विविध >> हमारी आजादी की कहानी हमारी आजादी की कहानीबिपिन चन्द्र
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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक जो हमारी आजादी का किस्सा बयान करती है रोमांच जगाती है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हमारी आजादी की कहानी
1
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन (या स्वतन्त्रता संग्राम) का जन्म अंग्रेजी
प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए हुआ था। भारत में अंग्रेजी शासन की शुरुआत
1757 में बंगाल की विजय से हुई। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने सारे देश पर कब्जा
कर लिया। अंग्रेजों ने भारतीय जनता के आर्थिक और राजनैतिक हितों को पूरी
तरह से अपने स्वार्थों के अधीन कर लिया।
अंग्रेजी शासन की स्थापना के परिणामस्वरूप देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था में कई परिवर्न आए। इन परिवर्तनों ने जनता में काफी रोष पैदा किया। उन्होंने अंग्रेजी शासन का जमकर विरोध किया। इसी का परिणाम था 1857 की क्रान्ति। जिसने अंग्रेजी शासन की जड़े हिला दीं। लाखों किसानों, दस्तकारों और सिपाहियों ने इसमें भाग लिया। कई जमींदारों और नबाबों ने भी इसमें भाग लिया।
अंग्रेजी शासन ने भारत के अलग-अलग भागों में रह रहे लाखों कबीले के लोगों के पारंपरिक जीवन और रहन-सहन को अस्त-व्यस्त कर दिया। परिणाम स्वरूप उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ 19 वीं शताब्दी में सैकड़ों लड़ाईयाँ लड़ीं। लेकिन इन लड़ाइयों में उनके हथियार होते थे- पत्थर, कुल्हाड़ी, भाले और तीर कमान। दूसरी तरफ अंग्रेज सेना आधुनिक हथियारों से लैस होती थी।
अंग्रेजी शासन की स्थापना के परिणामस्वरूप देश के प्रशासन और अर्थव्यवस्था में कई परिवर्न आए। इन परिवर्तनों ने जनता में काफी रोष पैदा किया। उन्होंने अंग्रेजी शासन का जमकर विरोध किया। इसी का परिणाम था 1857 की क्रान्ति। जिसने अंग्रेजी शासन की जड़े हिला दीं। लाखों किसानों, दस्तकारों और सिपाहियों ने इसमें भाग लिया। कई जमींदारों और नबाबों ने भी इसमें भाग लिया।
अंग्रेजी शासन ने भारत के अलग-अलग भागों में रह रहे लाखों कबीले के लोगों के पारंपरिक जीवन और रहन-सहन को अस्त-व्यस्त कर दिया। परिणाम स्वरूप उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ 19 वीं शताब्दी में सैकड़ों लड़ाईयाँ लड़ीं। लेकिन इन लड़ाइयों में उनके हथियार होते थे- पत्थर, कुल्हाड़ी, भाले और तीर कमान। दूसरी तरफ अंग्रेज सेना आधुनिक हथियारों से लैस होती थी।
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