जीवनी/आत्मकथा >> समता के समर्थक आंबेडकर समता के समर्थक आंबेडकरवसंत मनु
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बाबसाहब आंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर है। आपके पुरखे ‘आंबवड़े’ नामक छोटे से देहात में रहते थे। यह देहात महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले की मंडणगज तहसील में है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
बचपन
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर है। आपके पुरखे
‘आंबवड़े’ नामक छोटे-से देहात में रहते थे। यह देहात
महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले की मंडणगज तहसील में है।
भीमराव की माता का नाम भीमाबाई और पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था। महाराष्ट्र की अछूत जातियों में महार नामक जाति अपनी बहादुरी, पराक्रम और ईमानदारी के लिए मशहूर है। डॉ. आंबेडकर का जन्म इसी महार जाति में हुआ।
भीमराव के दादा मालोजी ब्रिटिश सरकार की फौज में हवलदार थे। उस समय फौजियों के बच्चों के लिए दिन में पाठशाला होती भी और बड़ों के लिए रात में। इसी पाठशाला में डॉ. भीमराव आंबेडकर के पिता रामजी सूबेदार ने चौदह बरसों तक हेडमास्टर की हैसियत से काम किया। रामजी फौज में थे तब लक्ष्मण मुरबाडकर से उनकी दोस्ती हो गयी। आगे चलकर मुरबाडकर ने अपनी लड़की भीमाबाई का विवाह रामजी से करा दिया। भीमाबाई अमीर घराने में पली-बढ़ी थी लेकिन रामजी को काफी कम वेतन मिलता था। भीमाबाई ने बड़ी तंगी में दिन काटे। रामजी के तेरह बच्चे हुए।
भीमराव की माता का नाम भीमाबाई और पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था। महाराष्ट्र की अछूत जातियों में महार नामक जाति अपनी बहादुरी, पराक्रम और ईमानदारी के लिए मशहूर है। डॉ. आंबेडकर का जन्म इसी महार जाति में हुआ।
भीमराव के दादा मालोजी ब्रिटिश सरकार की फौज में हवलदार थे। उस समय फौजियों के बच्चों के लिए दिन में पाठशाला होती भी और बड़ों के लिए रात में। इसी पाठशाला में डॉ. भीमराव आंबेडकर के पिता रामजी सूबेदार ने चौदह बरसों तक हेडमास्टर की हैसियत से काम किया। रामजी फौज में थे तब लक्ष्मण मुरबाडकर से उनकी दोस्ती हो गयी। आगे चलकर मुरबाडकर ने अपनी लड़की भीमाबाई का विवाह रामजी से करा दिया। भीमाबाई अमीर घराने में पली-बढ़ी थी लेकिन रामजी को काफी कम वेतन मिलता था। भीमाबाई ने बड़ी तंगी में दिन काटे। रामजी के तेरह बच्चे हुए।
जन्म
उन दिनों रामजी सूबेदार की पलटन मध्य प्रदेश की महू छावनी में थी। वहीं पर
14 अप्रैल, 1891 को भीमाबाई के पुत्र हु्आ।
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