लोगों की राय
अमर चित्र कथा हिन्दी >>
कुंभकर्ण
कुंभकर्ण
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2007 |
पृष्ठ :30
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
|
पुस्तक क्रमांक : 4973
|
आईएसबीएन :81-7508-412-x |
|
8 पाठकों को प्रिय
318 पाठक हैं
|
कृत्तिवास रचित रामायण पर आधारित...
Kumabhkaran A Hindi Book by Anant Pai - कुंभकर्ण - अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण ने अनेकानेक कवियों और लेखकों को प्रेरणा प्रदान की है। भारत की सभी भाषाओं में रामकथा को काव्य, नाटक उपन्यास आदि विभिन्न विधाओं में निरन्तर लिखा जाता रहा है।
लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व कृत्तिवास ने बंगला भाषा में रामायण लिखी थी। वे जनकवि थे इसलिए उन्होंने सीधी सरल शैली में अपनी काव्य रचना की, ताकि जनसाधारण आसानी से उसे समझ सके। प्रस्तुत कथा ‘कुम्भकर्ण’ बंगला भाषा की उसी रामायण पर आधारित हैं।
कुंभकर्ण
कुंभकर्ण लंका के शक्तिशाली राक्षस राजा, रावण का भाई था। बलवान तो था, लेकिन परले सिरे का दुष्ट था। अपने से कमजोर लोगों को डराने और सताने में उसे बड़ा आनन्द आता था।
रावण, पता है आज मैंने क्या किया ? दण्डकवन में घुस कर मुनियों को खूब डराया ! हा ! हा ! उनकी भगदड़ देखने जैसी थी। !
अच्छा किया कुंभकर्ण मुझे प्रसन्ता हुई।
लेकिन कुंभकर्ण कि करतूत से उसको छोटे भाई विभीषण को बड़ा दुःख हुआ।
कुंभकर्ण उन मुनियों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। ? उन्हें शान्ति से जीने क्यों नहीं देते हो ?
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai