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तानसेन
तानसेन
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2007 |
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 4974
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आईएसबीएन :81-7508-055-8 |
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81 पाठक हैं
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भारतीय संगीतज्ञ तानसेन पर आधारित पुस्तक...
Tansen A Hindi Book by Anant Pai - तानसेन- अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हर एक युग का अपना महान गायक हुआ करता है। मुगल सम्राट अकबर के समकालीन तानसेन भारतीय संगीत में सर्वोच्च सफलता के प्रतीक माने जाते हैं। तानसेन सिर्फ एक महान् गायक ही नहीं वरन् एक महान संगीतशास्त्री एवं रागों के रचयिता भी थे। जाति एवं रागों की प्राचीन मान्यताओं को तोड़ कर नये प्रयोगों की परंपरा को प्रारम्भ करने में वे अग्रणी थे।
भारतीय संगीत में स्वरलिपि की कोई पद्धति नहीं होने के कारण प्राचीन गायकों की स्वररचना को जानने का कोई साधन नहीं है। संगीत के क्षेत्र में आज भी तानसेन का प्रभाव जीवित है। उसका कारण है ‘‘मियाँ की मल्हार’’ ‘‘दरबारी कानडा’’ और ‘‘मियाँ की तोड़ी’’ जैसी मौलिक स्वर रचनाओं का सदाबहार आकर्षण। उस समय के लोकप्रिय राग ध्रुपद की समृद्धता का कारण भी तानसेन की प्रतिभा ही थी।
तानसेन के दीपक राग से दीप के जल उठने एवं राग मेघ-मल्हार से वर्षा होने की किंवदंतियों के ऐतिहासिक प्रमाण भले ही न हों, किन्तु उनमें इस सत्यता का अंश जरूर है कि अगर तानसेन जैसा महान गायक हो तो संगीत में असीम संभावनाएँ निहित हैं।
तानसेन
तानसेन की गणना भारत के महान संगीतज्ञों में की जाती है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान अभूतपूर्व है। सौभाग्य से उन्हें संगीत-कला को प्रोत्साहन देनेवाला महान् मुगल सम्राट अकबर जैसा संरक्षक मिल गया।
ग्वालियर के निकट छोटे से कस्बे बेहट में मुकुन्द-राम मिश्र नाम के एक गायक रहते थे। वह धनी तो थे ही, लोकप्रिय भी थे। किन्तु उनके कोई सन्तान नहीं थी।
बच्चों की किलकारी के बगैर यह घर निर्जीव-सा लगता है !
काश हमारी एक सन्तान होती !
दिवाली की शुभकामनाएँ मिश्र जी !
शुभ-कामनाएँ आपके लिए, न कि हमारे वीरान घर के लिए !
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