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			 अमर चित्र कथा हिन्दी >> सुनहला नेवला सुनहला नेवलाअनन्त पई
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सुनहले नेवले तथा महाभारत की अन्य कहानियाँ....
Sunahala Nevala -A Hindi Book by Anant Pai -सुनहला नेवला अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
उपनिषद में कहा गया है,‘‘अतिथि देवो भव’ अर्थात् अतिथि देवता के समान हैं। ‘सुनहला नेवला’ और कबूतर का त्याग’ नामक कथाओं में य़ही बताया गया है कि प्राचीन काल में आतिथ्य धर्म किस सीमा तक निभाया जाता था। 
‘ज्ञानी कसाई’ में कर्तव्य का महत्व बताया गया है। साथ ही सत्य की प्राप्ति के मार्ग में धर्म और कर्म के अटूट संबंध को भी दर्शाया गया है।
इस चित्र कथा की तीनों कथाएँ महाभारत से ली गयी हैं।
 ‘ज्ञानी कसाई’ में कर्तव्य का महत्व बताया गया है। साथ ही सत्य की प्राप्ति के मार्ग में धर्म और कर्म के अटूट संबंध को भी दर्शाया गया है।
इस चित्र कथा की तीनों कथाएँ महाभारत से ली गयी हैं।
सुनहरा नेवला
एक बार हस्तिनापुर के राजा ने महान अश्वमेध यज्ञ किया।
उन्होंने यज्ञ कराने वाले पुरोहितों को हजारों स्वर्ण मुद्राएं वितरित की।
वहाँ उपस्थित पण्डितों को कीमती उपहार दिये.....
....लँगड़ों, अँधों और गरीबों को दान दिया।
किसी भी राजा द्वारा किया महानतम यज्ञ था।
ऐसे अवसर पर दी जाने वाली दक्षिणा से तिगुनी दक्षिणा दी है।
						
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