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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


पत्नी की बात सुनकर मैं उठा और नीचे उतरने लगा। तभी मेरी नजर बदर के बच्चे किश्त पर पड़ी। वह उसी कोटर से निकल रहा था। जिसमें मुर्गियां रहती थीं। एक अंडार भी उसके हाथ में था। यह देखते ही मुझे इस बात का पता चल गया कि असली बात क्या है। पत्नी को भी मैंने आवाज देकर नीचे बुला लिया और ले जाकर किप्स का कोटर, जिसमें वह रहता था, दिखाया। उस समय भी वहां कई अंडों के खोल पड़े थे। उस दिन हमने तय कर लिया कि रोज शाम होते ही किस्म को जंजरी से बांध दिया जाना चाहिए। तभी हम अण्डे पा सकते हैं, नहीं तो वही सारे अण्डे चट कर जाएगा।

सुबह का नाश्ता लेकर मैंने अर्नेस्ट को अपने साथ लिया और तम्बूघर की तरफ चल दिया। वहां से कुछ जरूरी चीजें लानी थीं।

तम्बूघर से जब हम लौट रहे थे तो घास के बीच एक जानवर दिखाई दिया। उसका आकार भेड़ जैसा था और अगले पैर पिछले पैरों से छोटे थे। देखते ही फ्तोरा उसकी ओर झपटा, लेकिन पकड़ नहीं पाया। यह देखकर मैंने अपनी बंदूक संभाली और निशाना साधकर घोड़ा दबा दिया। मेरा निशाना भी चूक गया। तब तक अर्नेस्ट ने भी अपनी बंदूक दाग दी थी। उसका निशाना सही बैठा और वह जानवर लड़खड़ा कर गिर पड़ा। पास जाकर देखा तो पता चला कि वह कंगारू था। कंगारू के बारे में मैंने सुना तो बहुत पहले था, लेकिन देखने का मौका उसी दिन मिला।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस

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