मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
अपने इन सब कामों के साथ-साथ हम नन्हें फ्रांसिस को पढ़ाते भी थे। एक दिन की बात है कि सामान वाले बक्स में से फ्रिट्ज को 'राबिन्सन क्रूसो' नाम की एक किताब मिल गई। उसने वह किताब मुझे दिखाई। मैंने कहा, ''बेटे, यह किताब हमारे लिए बड़ी जुरूरी और लाभदायक है। राबिन्सन कूसो ने भी हमारी ही तरह एक द्वीप में अकेले मुसीबतों का सामना किया था। हमारी ही तरह उसका भी जहाज बीच समुद्र में टूटा था और निर्जन टापू में चट्टान काटकर उसने अपने लिए रहने की जगह बनाई थी।'' उस रात हम लोगों ने और कुछ नहीं किया, केवल 'राबिन्सन क्रूसो, की कहानी पढ़ते-सुनते रहे।
सात दिन तक लगातार पानी बरसने के बाद जब बादल छंटे और धूप निकली तो हमें कुछ राहत मिली। जब हम उस कष्टदायी कोठरी से बाहर आए तो लगा जैसे कैद से छुटकारा मिला हो। अब सबसे पहले घोंसले की मरम्मत और सफाई करना जरूरी था। इस काम में कई दिन लग गए। न जाने कितना कहा और घास-फूस वहां इकट्ठा हो गया था।
घोंसले की सफाई के बाद तंबूघर जाने की बात तय हुई।
वहां की हालत का पता लगाना बहुत जरूरी था।
तंबूघर जाने पर हमने देखा कि वह भी बड़ी खस्ता हालत में था। तंबू के चारों ओर का कपड़ा बुरी तरह फट गया था और कई चीजें बिलकुल नष्ट हो गई थीं। हमारा नया जहाज 'दि एलिजाबेथ' तो सही-सलामत था, लेकिन आठ खानों वाली 'दि डिलीवरेंस' करीब-करीब बेकार हो चुकी थी। यही नहीं, बारूद के दो बक्सों के अंदर भी पानी पहुंच गया था और बारूद जम गई थी। अब यह आवश्यक था कि जितनी बारूद ठीक हालत में है, उसके लिए दुबारा बारिश शुरू होने से पहले ही कोई सुरक्षित जगह बना ली जाए।
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