मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
कपास की खोज से हम सबके चेहरे खिल उठे थे, लेकिन फ्रांसिस उदास हो गया था। उसका एक खूबसूरत सपना टूट गया था, बर्फ पर खेलने का सुख लुट गया था। मेरी पत्नी ने उसको समझाते हुए कहा, ''बेटे, इसमें दुखी होने की ऐसी क्या बात है! देखो, कितने खूबसूरत, सफेद और कोमल हैं कपास के ये फूल! जितने अच्छे ये हैं, बर्फ उतनी अच्छी कभी नहीं हो सकतीं।...''
लाख समझाने के बाद भी फ्रांसिस के चेहरे पर मुस्कान नहीं दिखाई दी। यह पहला मौका था, जब हमारे परिवार के किसी सदस्य को अपने आस-पास की चीजों के बजाय किसी और चीज की इच्छा हुई। अंत में, जब सारे उपाय करके हम हार गए और फ्रांसिस खुश न हुआ तो पत्नी ने उसे लालच देते हुए, कहा, ''अच्छा, आज अगर तू खुश-खुश रहेगा तो वापस लौटने पर मैं तेरे लिए एक नई कमीज बना दूंगी।''
यह उपाय ज्यादा सफल साबित हुआ। नई कमीज के लालच में फ्रांसिस बर्फ पर खेलने की बात भूल-सा गया। यह नई जगह मुझे बहुत अच्छी लगी। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही थी। कपास के फूल उस हरियाली को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहे थे। वहां की जमीन इतनी ज्यादा उपजाऊ थी कि मेरे मन में आया कि क्यों न हम यहां आकर ही अपना खेती-बारी का काम फैलाएं। तभी हमारी नजर एक ऐसी जगह पड़ी, जिसे छोड़ने को मन नहीं कर रहा था। वह एक ढालू और उपजाऊ जगह थी। आस-पास जंगली फूलों और फलों की झाड़ियां थीं और पास में शीशे जैसे साफ जल वाली एक नदी बह रही थी। मुझे लगा कि हमारे जानवर और पक्षी शायद यहां ज्यादा आराम से रह सकेंगे।
यहीं मुझे चार विशालकाय वृक्ष भी दिखाई दिए। उन वृक्षों की शाखाएं काफी मोटी थीं और बहुत ऊंची नहीं थी। पत्नी ने कहा कि इन पर मचान बहुत अच्छी बन सकती है। जिस समय पत्नी ने यह बात कही, ठीक उसी समय मेरे मन में भी वही बात उठ रही थी। इसलिए मचान बनाने की बात तय हो गई और हम सब लोग काम में जुट गए। चूंकि मचान और झोपड़े बनाने का हमें अब तक बड़ा अभ्यास हो चुका था, इसलिए इस काम मे न तो हमे कोई कठिनाई हुई और न देर ही लगी।
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