लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

161 पाठक हैं

जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


दूसरे दिन सुबह मैंने जेनी, एलिजाबेथ, जैक, अर्नेस्ट और फ्रांसिस को गुफाघर से घोंसले पर भेज दिया। फिर मैं फ्रिट्‌ज के साथ नाव लेकर जवाबी तोपों के रहस्य का पता लगाने निकल पड़ा।

हम अपनी नाव को उसी दिशा में ले गए जिधर से जवाबी तोपें दागी गई थी। दोपहर ढले तक हम नाव खेते रहे। हमने लगभग सात मील का समुद्री सफर तय कर लिया। उसी समय अचानक मैंने देखा कि लगभग सौ गज की दूरी पर एक जहाज लंगर डाले हुए हैं। वह जहाज बड़ा ही शानदार और किसी शक्तिशाली देश का प्रतीत होता था।

फिट्स चाहता था कि वहीं से समुद्र में गोता लगा जाए और आश्यर्यजनक ढंग से उस जहाज के लोगों के सामने प्रकट हो। लेकिन मेरी तब भी यही इच्छा थी कि उनके पास जाने से पहले जितनी अधिक-से-अधिक बातें मालूम हो जाएं उतना ही अच्छा होगा। इसी विचार से हम थोड़ा आगे और बढे। अब उस जहाज की और उस तट पर की सभी चीजें साफ-साफ दिखाई देने लगी थीं। तट पर दो तंबू लगे थे। पास ही कुछ लोग खाना बना रहे थे। जहाज पर रखवाली करने वाले दो नाविकों के अलावा और कोई न था। जब उन नाविकों ने थोड़े ही फासले पर हमारी नाव और हमें देखा तो आवाज देकर अपने एक अफसर को बुलाया। वह भी जहाज पर आ गया। उनकी वेशभूषा, कद और चेहरे की बनावट से मुझे विश्वास हो गया कि ये इंग्लैंड से आए हैं और अंग्रेज हैं। इसलिए पहले तो हमने ऊंची आवाज में अंग्रेजी का एक गीत गाया। उसके बाद अंग्रेजी में एक आवाज दी-''अंग्रेज दोस्तो, हम आ गए हैं, दोस्ती का हाथ बढ़ाने !'' -लेकिन उन्होंने कोई उत्तर न दिया। मैंने अंदाज लगाया कि शायद मेरे पहनावे और छोटी नाव को देखकर वे यह समझे हैं कि हम लोग यहीं आसपास के टापुओं पर बसने वाले छोटे-मोटे सौदागर होंगे। इसलिए मैंने फ्रिट्‌ज पर अपनी शंका प्रकट करते हुए कहा, ''मैं समझता हूं कि हम लोगों को अपनी अच्छी पोशाकों में और नाव की बजाय जहाज पर आना चाहिए था। तभी हमारा प्रभाव इन पर पड़ेगा।'' फ्रिट्‌ज भी राजी हो गया और हम अपने गुफाघर की ओर वापस लौट पड़े।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book