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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


जैक और अर्नेस्ट ने हम लोगों के साथ ही रहने की इच्छा जाहिर की। शायद अर्नेस्ट को दुनिया की तड़क-भड़क से अधिक लगाव नहीं था। इसीलिए वह मेरे साथ रहकर पढ़ते-लिखते हुए अपने को एक विद्वान आदमी बनाना चाहता था। जैक के रुकने का कारण यह था कि उसे शिकार करना बहुत पसंद था। किंतु फ्रिट्‌ज कुछ नहीं बोला। चुप ही बना रहा। मुझे लगा कि वह संकोच कर रहा है। इसलिए मैं उसे उत्साहित करने की कोशिश करने लगा। मैंने उससे निस्संकोच अपनी इच्छा प्रकट करने को कहा।

मेरे जोर देकर पूछने पर फ्रिट्‌ज ने बताया कि वह यूरोप जाना चाहता है और वहां के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाना चाहता हे। मेरे सबसे छोटे बच्चे फ्रांसिस की इच्छा भी यही थी। वह भी फ्रिट्‌ज के साथ यूरोप जाना चाहता था। मुझे फ्रिट्‌ज और फ्रांसिस की इच्छा पर न आश्चर्य हुआ न गुस्सा आया। मैं जानता था कि जिन-जिन जगहों, चीजों और लोगों की जानकारी मेरे और किताबों के द्वारा उन्हें अब तक मिलती रही है उनको सच्चे रूप में देखने की इच्छा स्वाभाविक है। लेकिन ऐसा नहीं था कि मैं और मेरी पत्नी को अपने बच्चों से मोह न हो। वह उनको अपने प्राणों से भी ज्यादा प्यार करती थी। फिर भी जब मैंने उससे बात की तो उसने यही कहा, ''मेरा दिल अन्दर ही अन्दर बैठ भले ही जाए लेकिन मैं अपने बच्चों की राह मे रोड़े नहीं अटकाऊंगी। मेरे मोह से मेरे बच्चों की जिन्दगी का विकास ज्यादा कीमती है।''

एलिजाबेथ की बातों से उनका बिछोह सहने की ताकत मेरे अंदर भी पैदा हो गई। हम सब फ्रिट्‌ज और फ्रांसिस की विदाई की तैयारी करने लगे। फ्रिट्‌ज और फ्रांसिस के अलावा जेनी भी जाना चाहती थी। उसे रोकने का तो हमें कोई अधिकार ही नहीं था। उसका पिता इंग्लैंड में उसकी प्रतीक्षा कर रहा था।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस

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