मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
लौटते समय एक दुर्घटना हो गई। एरक बदरिया अपने बच्चे को पीठ पर लादे एक पेड पर चढ़ रही थी कि टर्क की नजर उस पर पड़ गई। उसने दौड़कर ऐसा झपट्टा मारा कि बेचारी बंदरिया का काम तमाम हो गया। यह देख उसका बच्चा उछलकर फ्रिट्ज के सिर पर आ बैठा और बाल कसकर पकड़ लिए। फ्रिट्ज दर्द से चीख पड़ा।
किसी तरह कोशिश करके मैंने उस बंदर के बच्चे के पंजों से फ्रिट्ज के बाल छुड़ाए और बंदर के बच्चे को प्यार से पुचकारने लगा। थोड़ी देर में वह शांत हो गया, लेकिन उस पर मां की मौत की उदासी छाई रही। मैंने फ्रिट्ज को समझाया कि इसमे उसकी गलती नहीं है। उस बेचारे की मां मर गई है, इसीलिए डरकर उसने ऐसा किया। बात फ्रिट्ज की समझ में आ गई। उसने बड़े प्यार से उस बंदर के बच्चे को गोद में ले लिया और हम वापस लौट पड़े।
रास्ते में फ्रिट्ज ने कहा, ''पापा, यह टर्क बड़ा शैतान हो गया है। बेकार में ही इसने उस बेचारी बंदरिया को मार डाला। मैं इसे इस अपराध की सजा दूंगा।'' और उसने उस बंदर के बच्चे को टर्क की पीठ पर बिठा दिया। इस बार टर्क कुछ नहीं बोला और उसे पीठ पर बिठाए चलता रहा।
डेरे पर लौटकर फ्रिट्ज ने अपनी मां और भाइयों को नारियल और गन्ने दिए और उन्हें रोमांचक यात्रा का सारा किस्सा विस्तार से सुनाया। उसी दिन उन लोगों ने उस बंदर के बच्चे को अपने पालतू जानवरों में शामिल कर लिया और उसका नाम किप्स रखा। गन्ने और नारियल तो हमें मानो नियामत-से लगे।
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