मनोरंजक कथाएँ >> युद्ध मोर्चों की कहानी युद्ध मोर्चों की कहानीसावित्री देवी वर्मा
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युद्ध क्षेत्र की रोमांचक सच्ची कहानियों का उल्लेख इस किताब में किया गया है
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
युद्ध की पृष्ठभूमि
आपने देखा होगा कि बिल्ली जिस तरह दबे-दबे पाँवों पर चलकर पास आकर एक झटके
में अपने शिकार पर टूट पड़ती है, इसी प्रकार हमारे पड़ौसी राज्य पाकिस्तान
ने धीरे-धीरे अपने नख गड़ाने शुरू किए थे। सीमा रेखा पर यदा-कदा हमले करके
उसने यह आभास देना चाहा था कि सीमा पर छेड़खानी इस प्रकार चलती ही रहेगी।
1962 में चीन ने अचानक हमला करके भारत को हक्का-बक्का कर दिया था। पाक ने समझा कि इसी प्रकार हमला करके वह भी शान्ति–प्रिय भारत को दबोच लेगा।
भारत चीन के हमले के कारण वैसे ही खिसियान अनुभव कर रहा था। ऊपर से पाक की छेड़खानी ने उसके क्रोध में उबाल ला दिया। पाकिस्तान का नापाक इरादा पता चलते ही वह उसके दांत उखाड़ने को कटिबद्ध हो गया। यही कारण था कि युद्ध-साधनों में पाक के श्रेष्ठ होते हुए भी और पूर्व तैयारी से आत्मविश्वासी बने हुए दुश्मन के अभिमान को भारत के वीरों ने कुचल कर रख दिया।
जनवरी, 1965 में पाक ने ‘रन आफ कच्छ’ में अपने पाँव घुसाए। वहाँ वह ऊँची तथा सुरक्षित जगह पर थे। इसलिए उन्हें मोर्चा बनाने की सब तरह सहूलियत थी। उन्होंने चुपके से रात के समय भारतीय फौजी-चौकी पर हमला किया। खैर, अन्त में यह बात तय हुई कि रन आफ कच्छ क्षेत्र के मामले में जो मतभेद है वह बाचचीत से तय किया जाए, परन्तु बातचीत करने से पहले जबरदस्ती कब्जा किए गए स्थान को पाक को खाली करना होगा।
1962 में चीन ने अचानक हमला करके भारत को हक्का-बक्का कर दिया था। पाक ने समझा कि इसी प्रकार हमला करके वह भी शान्ति–प्रिय भारत को दबोच लेगा।
भारत चीन के हमले के कारण वैसे ही खिसियान अनुभव कर रहा था। ऊपर से पाक की छेड़खानी ने उसके क्रोध में उबाल ला दिया। पाकिस्तान का नापाक इरादा पता चलते ही वह उसके दांत उखाड़ने को कटिबद्ध हो गया। यही कारण था कि युद्ध-साधनों में पाक के श्रेष्ठ होते हुए भी और पूर्व तैयारी से आत्मविश्वासी बने हुए दुश्मन के अभिमान को भारत के वीरों ने कुचल कर रख दिया।
जनवरी, 1965 में पाक ने ‘रन आफ कच्छ’ में अपने पाँव घुसाए। वहाँ वह ऊँची तथा सुरक्षित जगह पर थे। इसलिए उन्हें मोर्चा बनाने की सब तरह सहूलियत थी। उन्होंने चुपके से रात के समय भारतीय फौजी-चौकी पर हमला किया। खैर, अन्त में यह बात तय हुई कि रन आफ कच्छ क्षेत्र के मामले में जो मतभेद है वह बाचचीत से तय किया जाए, परन्तु बातचीत करने से पहले जबरदस्ती कब्जा किए गए स्थान को पाक को खाली करना होगा।
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