बहु भागीय सेट >> भीलों की लोक कथाएँ - 2 भागों में भीलों की लोक कथाएँ - 2 भागों मेंपुरुषोत्तमलाल मेनारिया
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भीलों की लोक कथाओं को प्रस्तुत किया गया है....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
1
रूपली
मुन्दर गाँव में हरुवत भीलों के यहाँ रुपली नाम की एक सुन्दर लड़की थी। वह
रंगीन साड़ी पहनती, चीरे हुए हाथीदाँत की चूँड़िया पहनती और सिर पर पीतल
का बर्तन रखकर अपनी सहेलियों के साथ बावड़ी पर पानी भरने जाती। उसकी सगाई
गामड़ी के परमाथों के यहाँ हुई थी।
एक बार गांव के मानु मनात के यहाँ बड़ा मकान बनवाने का निश्चय हुआ। मानु ने अपने भाई पूंजा को बुलाकर कहा, ‘‘मकान बनवाया है और जंगल से बांस लाने हैं। इसलिए गाँव के सभी लोगों को बुलवा दे आओ।’’ दूसरे दिन गांव के सभी लोग रवाना होकर मुन्दर की तलाई में पहुँचे। भील लोग मुन्दर की बावड़ी पर विश्राम करने लगे। बावड़ी पर नवयुवतियों का समूह पानी भरने आया। थोड़ी देर बाद कुमारी लड़कियों का समूह भी पानी भरने आया। इन कुमारी लड़कियों में रुपाली भी थी।
मानु मनात देहंग भाई से पूछने लगा, ‘‘भाई यह लड़की कौन है ?’’ देहंग ने कहा, ‘‘यह तो हरुवतों की लड़की है ?’’
मानु ने कहा, ‘‘हम सात भाईयों में से छोटा पूंजा अभी कुंवारा है। उसका विवाह करना है।’’ देहंग भाई ने कहा, ‘‘यह मेरे साले की लड़की है, ‘किन्तु इसकी सगाई हो चुकी है।’’...
एक बार गांव के मानु मनात के यहाँ बड़ा मकान बनवाने का निश्चय हुआ। मानु ने अपने भाई पूंजा को बुलाकर कहा, ‘‘मकान बनवाया है और जंगल से बांस लाने हैं। इसलिए गाँव के सभी लोगों को बुलवा दे आओ।’’ दूसरे दिन गांव के सभी लोग रवाना होकर मुन्दर की तलाई में पहुँचे। भील लोग मुन्दर की बावड़ी पर विश्राम करने लगे। बावड़ी पर नवयुवतियों का समूह पानी भरने आया। थोड़ी देर बाद कुमारी लड़कियों का समूह भी पानी भरने आया। इन कुमारी लड़कियों में रुपाली भी थी।
मानु मनात देहंग भाई से पूछने लगा, ‘‘भाई यह लड़की कौन है ?’’ देहंग ने कहा, ‘‘यह तो हरुवतों की लड़की है ?’’
मानु ने कहा, ‘‘हम सात भाईयों में से छोटा पूंजा अभी कुंवारा है। उसका विवाह करना है।’’ देहंग भाई ने कहा, ‘‘यह मेरे साले की लड़की है, ‘किन्तु इसकी सगाई हो चुकी है।’’...
1
डूंगरिया परमाथ
डूंगरिया परमाथ नाम का एक भील डूंगरा गाँव में रहता था। वह बड़ा ही वीर था
और सदा हथियारों को बाँधे घूमता रहता था।
एक बार डूंगरिया ने रात को सोते समय स्वप्न देखा कि देवी माता खड़ी है। और कहती है, ‘‘मामा के यहाँ होली खेलने लिए जाओ ।’’
सुबह उठकर डूंगरिया ने अपने स्वप्न की बात घरवालों को बताई। घरवालो ने कहा, ‘‘यह स्वप्न झूठा है, मामा और अपने बीच पुराना वैर है। होली के अवसर पर वहां जाओगे तो लोग तुम्हें मारे बिना न छोड़ेंगे।’’
डूंगरिया शकुन लेने के लिए जंगल में गया और उसने शीशम के पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाई तो पहले ही वार में पे़ड से लहू कि तरह रस निकलने लगा। डूंगरिया ने सोचा, शकुन तो अच्छे नहीं हुए। फिर डूंगरिया ने निश्चिय किया कि देवी कि आज्ञा है, अतः मामा के गाँव देवल जरूर जाना चाहिए।
दूसरे दिन डूंगरिया घर से रुपये लेकर पास ही शहर में बाजार की ओर चल दिया। बौहरे की दुकान से उसने कपड़े खरीदे। रंगरेज की दुकान पर उसने साफा रंगवाया। दर्जी की दुकान पर कपड़े तैयार करवाये। फिर वह अपने घर पहुँच गया।...
एक बार डूंगरिया ने रात को सोते समय स्वप्न देखा कि देवी माता खड़ी है। और कहती है, ‘‘मामा के यहाँ होली खेलने लिए जाओ ।’’
सुबह उठकर डूंगरिया ने अपने स्वप्न की बात घरवालों को बताई। घरवालो ने कहा, ‘‘यह स्वप्न झूठा है, मामा और अपने बीच पुराना वैर है। होली के अवसर पर वहां जाओगे तो लोग तुम्हें मारे बिना न छोड़ेंगे।’’
डूंगरिया शकुन लेने के लिए जंगल में गया और उसने शीशम के पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाई तो पहले ही वार में पे़ड से लहू कि तरह रस निकलने लगा। डूंगरिया ने सोचा, शकुन तो अच्छे नहीं हुए। फिर डूंगरिया ने निश्चिय किया कि देवी कि आज्ञा है, अतः मामा के गाँव देवल जरूर जाना चाहिए।
दूसरे दिन डूंगरिया घर से रुपये लेकर पास ही शहर में बाजार की ओर चल दिया। बौहरे की दुकान से उसने कपड़े खरीदे। रंगरेज की दुकान पर उसने साफा रंगवाया। दर्जी की दुकान पर कपड़े तैयार करवाये। फिर वह अपने घर पहुँच गया।...
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