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बाल एवं युवा साहित्य >> हमारा डाकघर

हमारा डाकघर

गुंजन पुरी

प्रकाशक : पर्व प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5042
आईएसबीएन :000

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डाकघर की कार्यप्रणाली एवं उपयोगिता का वर्णन...

Hamara Dakghar -A Hindi Book by Gunjan Puri

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

हमारा डाकघर

‘डाकघर’ शब्द से भला कौन परिचित नहीं है। जब से मनुष्य ने डाकघर की व्यवस्था आरम्भ की है, तभी से डाकघर मनुष्य के अभिन्न सहयोगी के रूप में कार्य करते आ रहे है, डाकघर का कार्य मनुष्य द्वारा भेजे जाने वाले संदेशों को पत्रों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है। वर्तमान में सूचनाओं के बढ़ते आदान-प्रदान व उनमें डाकघरों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए बड़ी संख्या में डाकघरों को स्थापित किया गया है।

यद्यपि आज डाकघर हमारी दैनिक आवश्यकता एवं व्यवस्था का प्रमुख अंग बन चुका है, किंतु प्राचीन समय में डाकघर की सुविधा न होने से संदेशों को पहुँचाने का काम अत्यंत कठिन था। उस समय पैदल संदेश वाहकों घुड़सवारों तथा कबूतरों द्वारा ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर संदेश भेजे जाते थे जो अधिक समय में होने वाला तथा जोखिम भरा कार्य था। धीरे-धीरे मानव सभ्यता का विकास हुआ तथा डाकघर अस्तित्व में आए। डाकघरों का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है।

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