मनोरंजक कथाएँ >> करनी का फल करनी का फलगुरबचन कौर नन्दा
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इसमें करनी का फल की शिक्षा देती 6 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सच्चा पाठ
एक छोटा बालक था जिसका नाम था युधिष्ठिर। वह अपने गुरु जी का बड़ा सम्मान
करता था। कक्षा में मन लगाकर पढ़ता था। गुरुजी एक दिन पाठ पढ़ाते, दूसरे
दिन सभी से सुनते थे।
एक दिन गुरु जी ने एक पाठ पढ़ाया, कभी क्रोध न करो। सभी बच्चों को कहा गया कि अगले दिन याद करके आएँ। दूसरे दिन गुरु जी ने सबसे पूछा-‘‘पाठ याद करके आए हो ?’’ जो याद करके आए, सबने जवाब दिया। केवल युधिष्ठिर चुप था। गुरु जी ने कहा-‘‘युधिष्ठिर, तुम क्यों चुप हो ?’’ युधिष्ठिर बोला- गुरु जी पाठ मुझे याद नहीं हुआ।’’ अगले दिन फिर कक्षा में आकर गुरु जी ने पूछा तो फिर सब बच्चों ने जवाब दिया परन्तु युधिष्ठिर चुप था। गुरु जी ने पूछा-उन्हें वही जवाब फिर मिला-मुझे याद नहीं हुआ। गुरु जी ने कहा-‘‘अच्छा कल याद कर आना।’’ युधिष्ठिर बैठ गया।
अगले दिन सुबह गुरु जी ने आकर सबसे पहले युधिष्ठिर को पूछा-‘‘पाठ याद हो गया।’’ वह बोला- ‘‘नहीं गुरु जी,’’ इतना सुनते ही गुरु जी का मुँह क्रोध से लाल हो गया। बोले-‘‘तुम्हें इतने से शब्द याद नहीं होते।’’ युधिष्ठिर बोला-‘‘गुरु जी कभी-कभी अपने साथी बच्चों पर गुस्सा आ जाता है।’’ यह उत्तर सुनते ही गुरु जी का क्रोध शान्त हो गया। युधिष्ठिर को पास बुलाय़ा और बोले-‘‘बेटा, मैं पहले न समझ सका। सच्चा पाठ तो तुमने ही याद किया है।’’ इतना कहकर युधिष्ठिर को गले लगा लिया।
एक दिन गुरु जी ने एक पाठ पढ़ाया, कभी क्रोध न करो। सभी बच्चों को कहा गया कि अगले दिन याद करके आएँ। दूसरे दिन गुरु जी ने सबसे पूछा-‘‘पाठ याद करके आए हो ?’’ जो याद करके आए, सबने जवाब दिया। केवल युधिष्ठिर चुप था। गुरु जी ने कहा-‘‘युधिष्ठिर, तुम क्यों चुप हो ?’’ युधिष्ठिर बोला- गुरु जी पाठ मुझे याद नहीं हुआ।’’ अगले दिन फिर कक्षा में आकर गुरु जी ने पूछा तो फिर सब बच्चों ने जवाब दिया परन्तु युधिष्ठिर चुप था। गुरु जी ने पूछा-उन्हें वही जवाब फिर मिला-मुझे याद नहीं हुआ। गुरु जी ने कहा-‘‘अच्छा कल याद कर आना।’’ युधिष्ठिर बैठ गया।
अगले दिन सुबह गुरु जी ने आकर सबसे पहले युधिष्ठिर को पूछा-‘‘पाठ याद हो गया।’’ वह बोला- ‘‘नहीं गुरु जी,’’ इतना सुनते ही गुरु जी का मुँह क्रोध से लाल हो गया। बोले-‘‘तुम्हें इतने से शब्द याद नहीं होते।’’ युधिष्ठिर बोला-‘‘गुरु जी कभी-कभी अपने साथी बच्चों पर गुस्सा आ जाता है।’’ यह उत्तर सुनते ही गुरु जी का क्रोध शान्त हो गया। युधिष्ठिर को पास बुलाय़ा और बोले-‘‘बेटा, मैं पहले न समझ सका। सच्चा पाठ तो तुमने ही याद किया है।’’ इतना कहकर युधिष्ठिर को गले लगा लिया।
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