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बाल एवं युवा साहित्य >> खेल खेल में विज्ञान

खेल खेल में विज्ञान

मनमोहन सरल

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5061
आईएसबीएन :81-7043-135-2

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यह पुस्तक उन जिज्ञासु बच्चों को उपहार में देने योग्य है जो रोज अनेक वस्तुओं के सम्बन्ध में विविध प्रश्न पूछा करते हैं। साथ ही ऐसे माता-पिता, भाई-बहन और गुरुजनों के लिए भी उपयोगी है जिन्हें उत्तर देना पड़ता है।

Khel Khel Mein Vigyan-A Hindi Book by Manmohan Saral

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

परिचय

बच्चों का मस्तिष्क स्पष्ट और निर्मल होता है। नई वस्तु के प्रति उनमें स्वाभाविक जिज्ञासा होती है। कौतूहल को शान्त करने के लिए वे अपने माता-पिता से भाई-बहन से, या बड़े लोगों से तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण क्षण होता है जब आप बच्चे को सही रास्ता दिखा सकते हैं, लेकिन अक्सर इसके विपरीत होता है। माता-पिता या भाई-बहन छोटे बच्चों के इन प्रश्नों को कभी टाल देते हैं, कभी झूठ बोलते हैं और कभी-कभी झुँझला जाते हैं। बहुधा यह होता है कि बच्चों की समस्याओं का उचित समाधान नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में बच्चों का मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनमें जिज्ञासा की आग बुझ जाती है ?

हमारे देश के अधिकांश लोग अशिक्षित हैं। पानी क्या है ? कहाँ से आता है ? हवा क्या है ? वर्षा क्यों होती हैं ? ग्रहण क्यों पड़ता है ? पृथ्वी और मनुष्य कैसे और कब पैदा हुए ? विज्ञान के ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जिनका सही उत्तर वे स्वयं नहीं जानते। बच्चों का कौतूहल शान्त करने के लिए वे उल्टी-सीधी बात बता देते हैं।

आज विज्ञान का युग है। बच्चों को प्रारम्भ से ही विज्ञान की शिक्षा मिलनी चाहिए। हिन्दी में ऐसी पुस्तकों का अभाव है जो विज्ञान के कठिन और शुष्क विषयों का रोचक और सरल ढंग से बच्चो को ज्ञान करा सकें। इस पुस्तक की रचना उसी अभाव की पूर्ति के लिए की गयी है। इसमें कई रोचक कहानियाँ हैं जिनमें छोटे-छोटे बच्चे ही मुख्य पात्र हैं। वे अपने बड़े भाई से रोज इसी प्रकार के प्रश्न पूछते हैं और वह उन्हें वैज्ञानिक दृष्टि से सही उत्तर देता है। मजा यह है कि वह सीधी और सरल भाषा द्वारा इतने रोचक ढंग से समझाता है कि बच्चे खेल-खेल में ही विज्ञान के प्रारम्भिक नियमों का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। रंग-बिरंगे चित्रों द्वारा प्रत्येक विषय को स्पष्ट कर दिया गया है।

यह पुस्तक उन जिज्ञासु बच्चों को उपहार में देने योग्य हैं जो रोज अनेक वस्तुओं के संबंध में विविध प्रश्न पूछा करते हैं। साथ ही ऐसे माता-पिता, भाई-बहन और गुरुजनों के लिए भी उपयोगी है जिन्हें उत्तर देना पड़ता है।

संपादक


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