मनोरंजक कथाएँ >> बाल कहानियाँ बाल कहानियाँमंजुला सक्सेना
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इस पुस्तक में 7 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
1
पूरी हुई निशा की मुराद
अरे ‘‘दीपा दीदी, आओ कुछ देर खेलें न, अपनी गुड़िया
भी लेती आओ जरा, कितनी प्यारी है।’’
‘‘आओ निशा आओ, बस थोड़ी सी देर रुको, थोड़ा होमवर्क बचा है मेरा, वह पूरा कर लूँ,, फिर खेलेंगे। आओ बैठ जाओ मेरे पास।’’
निशा खुश हो अन्दर आ गयी। उसे यहाँ पर आना न जाने क्यों बहुत अच्छा लगता है। दीपा होमवर्क कर रही थी। निशा को खाली बैठना अखर रहा था। तो वह इधर-उधर घूमने लगी। सामने रसोई में दीपा की मम्मी जी काम कर रही थीं। निशा के कदम उसी तरफ बढ़ गए।
‘‘नमस्ते आंटी जी।’’
‘‘जीती रहो बिटिया रानी। आओ इधर चौकी पर बैठ जाओ, दीपा का काम होते ही वह तुम्हारे साथ खेलेगी। कुछ खाओगी ?’’
‘‘नहीं आंटी जी, अभी दूध पीकर ही आ रही हूँ दीपा दीदी की गुड़िया कहाँ है ?’’
‘‘अरे वो हाथ से बनी पुरानी गुड़िया ? उससे खेलोगी तुम ? तुम्हारे पास तो सुन्दर-सुन्दर कितनी सारी गुड़िया हैं।’’
‘‘आंटी जी मुझे तो आपकी बनाई वह गुड़िया ही अच्छी लगती है।’’ उसके लिए आपने कितनी तरह-तरह की रंग-बिरंगी ड्रेसेज भी बनाई हैं। मेरी मम्मी-तो बनाती ही नहीं मेरे लिए कुछ भी।
‘‘उन्हें तो समय नहीं मिलता होगा न बिटिया,. अच्छा अब मैं बना दूँगी तुम्हारे लिए भी। अच्छा तो यह गुड़ मूँगफली खालो, अच्छी लगती हैं न तुम्हें गुण मूंगफली।’’
‘‘आओ निशा आओ, बस थोड़ी सी देर रुको, थोड़ा होमवर्क बचा है मेरा, वह पूरा कर लूँ,, फिर खेलेंगे। आओ बैठ जाओ मेरे पास।’’
निशा खुश हो अन्दर आ गयी। उसे यहाँ पर आना न जाने क्यों बहुत अच्छा लगता है। दीपा होमवर्क कर रही थी। निशा को खाली बैठना अखर रहा था। तो वह इधर-उधर घूमने लगी। सामने रसोई में दीपा की मम्मी जी काम कर रही थीं। निशा के कदम उसी तरफ बढ़ गए।
‘‘नमस्ते आंटी जी।’’
‘‘जीती रहो बिटिया रानी। आओ इधर चौकी पर बैठ जाओ, दीपा का काम होते ही वह तुम्हारे साथ खेलेगी। कुछ खाओगी ?’’
‘‘नहीं आंटी जी, अभी दूध पीकर ही आ रही हूँ दीपा दीदी की गुड़िया कहाँ है ?’’
‘‘अरे वो हाथ से बनी पुरानी गुड़िया ? उससे खेलोगी तुम ? तुम्हारे पास तो सुन्दर-सुन्दर कितनी सारी गुड़िया हैं।’’
‘‘आंटी जी मुझे तो आपकी बनाई वह गुड़िया ही अच्छी लगती है।’’ उसके लिए आपने कितनी तरह-तरह की रंग-बिरंगी ड्रेसेज भी बनाई हैं। मेरी मम्मी-तो बनाती ही नहीं मेरे लिए कुछ भी।
‘‘उन्हें तो समय नहीं मिलता होगा न बिटिया,. अच्छा अब मैं बना दूँगी तुम्हारे लिए भी। अच्छा तो यह गुड़ मूँगफली खालो, अच्छी लगती हैं न तुम्हें गुण मूंगफली।’’
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