लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> मालवा की कहानियाँ

मालवा की कहानियाँ

श्याम परमार

प्रकाशक : आकाश गंगा पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5066
आईएसबीएन :81-89363-02-6

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

104 पाठक हैं

बाल कहानी संग्रह में प्रस्तुत है मालवा देश की कहानियाँ ....

Malva Ki Kahaniyan -A Hindi Book by Shyam Parmar

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

बार्या

एक डोकरी थी। एक दिन कुम्हार के यहाँ से जाकर वह चार बार्ये मोल लाई। घर आकर उसने चारों को पंडेरी पर रखा और मटके में से आटा निकालकर रोटी बनाने बैठी।
डोकरी की कमर झुक गई थी। कठिनाई से वह कोई काम कर पाती थी। आटा गूँधते हुए उसने एक निसास लेकर कहा, ‘‘आज मेरा कोई बेटा होता तो गेहूँ काटने जाता।’’
डोकरी की बात ओवरी में घूम गई। पंडेरी पर रखे चारों बार्ये एक दूसरे से टकराकर हिलने लगे, मानो वे एक दूसरे से बात कर रहे हों। डोकरी ने फिर निसास ली।
एक बार्या जो बड़ी देर से हिल रहा था अब और भी जोर से हिलने लगा। डोकरी के कान में आवाज आई, ‘‘माँ-माँ, मैं गेहूँ काटने जाऊँ ?’’
डोकरी ने आसपास देखा। कुछ दिखाई नहीं दिया। उसे फिर सुनाई पड़ा, ‘‘माँ-माँ, मैं गेहूँ काटने जाऊँ ?’’
डोकरी ने कहा, ‘‘कौन बोल रहा है ? यह कहाँ से बोल रहा है ?’’
पंडेरी पर से उतरकर एक बार्या रड़कता-रड़कता डोकरी के पास आ गया, ‘‘यह मैं हूँ माँ, बार्या।’’
डोकरी के पोपले गालों पर हँसी भर गई। बोली, ‘‘ये गावड़ी काट्या तू कँई गँऊ काटेगो ?’’
(ए शैतान, तू क्या गेहूँ काँटेगा ?)
‘‘देख तो सही माँ, मैं अभी गेहूँ काट लाता हूँ।’’- कहते हुए बार्या रड़कता-रड़कता आवेरी के बाहर निकल गया।
वह गाँव के पटेल के पास गया, ‘‘पटेल, पटेल, मैं गेहूँ काटूँगा।’’


प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book