लोगों की राय

अतिरिक्त >> बच्चों का गाँधी ग्राम

बच्चों का गाँधी ग्राम

श्याम सुन्दर मिश्र

प्रकाशक : स्वास्तिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1998
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5073
आईएसबीएन :0000

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

367 पाठक हैं

बच्चों का गाँधी-ग्राम...

Bachchon Ka Gandhi Gram-A Hindi Book by Shyam Sundar Mishra - बच्चों का गाँधी ग्राम - श्याम सुन्दर मिश्र

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

दो शब्द

आज जिधर देखो बाढ़ ही बाढ़ है। भ्रष्टाचार की बाढ़। अनैतिकता और अनाचार की बाढ़। यह बाढ जब-जब आई है, देश को डूबना पड़ा है। त्रेता में लंका की ओर से बाढ़ आई तो राम राजपाट त्याग कर दक्षिण चले गये। द्वापर में यह बाढ़ आई तो कृष्ण को दौड़ना पड़ा। बुद्ध तथा महावीर के समय में भी बाढ़ आई तो उन्हें राजपद से सन्यास लेकर घट-घट घूमना पड़ा। बाढ़ उतर गई। ईसा और मोहम्मद साहब ने भी अपना बलिदान कर इन बाढ़ों को रोका है। जारशाही की बाढ को महात्मा मार्क्स पी गये। अंग्रेजों की बाढ़ को गाँधी ने गाड़ दिया।

आज भारत में जैसी बाढ़ आई है, वैसी पहले कभी नहीं। आज की बाढ़ में बड़े-बड़े बहे जा रहे हैं। अबलाएं डूब रही हैं। प्रौढ़ों-बूढ़ों के पैर दलदल में फँस गये हैं। वे आकाश निहार रहे हैं। बस बालक और युवा उछल रहे हैं। वे डूब नहीं रहे है। ऊपर ही ऊपर तैर रहे हैं।

बस हमें अपने इन्हीं नौनिहालों को बचाना है। बाकी गये तो गये। पता नहीं, इनके कौन राम-बाण निकले। कौन चक्रधारी निकले। कौन सिद्धार्थ और बर्द्धमान । कौन यीशु निकले जो अपने फाँसी के रक्त से बाढ़ ध्वस्त कर दें और कौन मोहम्मद निकले जो अपने मार्ग में काँटा बिछाने वालों के पथ पर फूल बिखेर कर बाढ़ रोक दे। इन्हीं में गाँधी, सुभाष, भगतसिंह विस्मिल, आजाद और अशफाक छिपे हैं जिन्होंने अपने बलिदान से बाढ़ रोकी है।

यह सब कैसे होगा। हमें अपने बालकों को सही-सही इतिहास पढ़ाना है। अतीत की प्रेरणा से ही भविष्य का निर्णाण होता है। आज इतिहास के गलत पक्षों का उद्घाटन किया जा रहा है। बलिदानों पर धूल डाली जा रही है। शहीदों को आतंकवादी बताया जा रहा है। गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं। स्वतन्त्रता संग्राम के समय, अंग्रेजी संगीत की धुन पर अंग्रेजी लिबास में ‘डांस’ करने वाले देश-भक्त बताये जा रहे है। मूल्यहीन आगे लाये जा रहे हैं। घट-घट उनकी मूर्तियां लगाई जा रही हैं। संत कबीर, निजामुद्दीन, नानक और समर्थ गुरु रामदास को भुलाया जा रहा है।

प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book