लोगों की राय

नाटक एवं कविताएं >> महापुरुषों के गीत

महापुरुषों के गीत

सेवक

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5074
आईएसबीएन :81-7043-479-3

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

99 पाठक हैं

महापुरुषों के जीवन पर आधारित कविता-संग्रह।

Mahapurshon Ke Geet A Hindi Book Sevak

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

दो शब्द

प्रत्येक बच्चे के मन में यह भावना होती है कि वह बड़ों की तरह आचरण करे। वह अपने परिचित लोगों में से किसी एक को चुनकर अपना आदर्श बना लेता है और उसी के अनुसार बनने की चेष्टा करने लगता है। समय और परिस्थितियों के अनुसार ये आदर्श बदलते भी रहते हैं। फिर भी महापुरुषों के जीवन बच्चों के लिए आदर्श का काम करते हैं।

मैंने ये गीत बच्चों की इसी भावना को प्रकट करने के लिए लिखे हैं। बच्चे इन्हें पढ़कर अपने लिए अपना आदर्श चुन सकते हैं; और अगर वे प्रत्येक वैसे ही बन भी सकें तो मुझे क्या, सबको ही बहुत प्रसन्नता होगी।
निरंकारदेव ‘सेवक’

महात्मा गाँधी


माँ, मैं गाँधी बाबा बनकर सत्य-अहिंसा का व्रत पालूं।।
मैं बचपन में राजकोट के दूर विलायत पढ़ने जाऊँ।
पर अपनी माँ के कहने से पिऊँ न मदिरा, मांस न खाऊँ।
ऊँचे आदर्शों के साँचे में अपने जीवन को ढालूँ।

माँ, मैं गाँधी बाबा बनकर सत्य-अहिंसा का व्रत पालूँ।
अफ़रीका में अंग्रेजों के जुल्मों से पहली टक्कर लूँ
फिर भारत में आकर सारे भारत को बाँहों में भर लूँ।
सेवाग्राम अनोखा अपना एक नया संसार बसा लूँ।

माँ, मैं गाँधी बाबा बनकर सत्य-अहिंसा का व्रत पालूँ।
प्यार करें मुझको दुनिया के बस हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई।
प्यार करूँ सबको मैं कहकर सब आपस में भाई-भाई।
मैं भारत की आज़ादी की एक निराली राह निकालूँ।

माँ, मैं गाँधी बाबा बनकर सत्य-अहिंसा का व्रत पालूँ।।


प्रथम पृष्ठ

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

लोगों की राय

No reviews for this book