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नाटक एवं कविताएं >> पीली सरसों

पीली सरसों

मृदुला प्रधान

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5076
आईएसबीएन :81-7043-514-5

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पीली सरसों का खिलना खुशी और उत्साह का द्योतक है। किताब के नाम के पीछे यही भावना है।

Pili Sarson A Hindi Book Mridula Pradhan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भूमिका

बसंत ऋतु के आगमन के साथ-साथ ही खेतों में
सरसों के फूल भी खिल जाते हैं।
पीली सरसों का खिलना खुशी और उत्साह का द्योतक है।
किताब के नाम के पीछे यही भावना है।
बच्चों के मन की बातें उन्हीं के अंदाज में लिखने का एक अलग ही आनन्द है।
उनकी बाल-सुलभ निश्छलता से और उनकी नन्ही किलकारियों से ही यह पुस्तक लिखी है।
आशा है आपको भी पढ़कर अच्छा लगेगा।

मृदुला प्रधान

पीली सरसों


पीली सरसों खिली-खिली
आया वसंत।
कोयल कूकी डाली-डाली
आया वसंत ।
खुशबू आई जो गली-गली
आया वसंत।
पुरवाई है चली-चली
आया वसंत।

छुट्टी आई


पापा देखो छुट्टी आई
मुझे जरा बाजार घुमा दो,
लम्बी मोटर चाभी वाली
पटरी वाली रेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
चलो-चलो आइसक्रीम खिला दो,
फोन एक मोबाइल लाल
और कम्प्यूटर का खेल दिला दो।
पापा देखो छुट्टी आई
यहाँ-वहाँ की सैर करा दो,
आज मुझे और मम्मी को
तुम ‘मैक डोनल’ में ‘लंच’ करा दो।


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