| कहानी संग्रह >> इमाम बुखारी का नैपकिन इमाम बुखारी का नैपकिनमुशर्रफ आलम ज़ौकी
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13 लघु कहानियों का संग्रह...
ज़ौक़ी की कहानियां दरअसल राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों का कहानियां हैं, लेकिन हर बार अपने बोल्ड विषयों के कारण ज़ौक़ी की कहानियां अत्यधिक चर्चा में आ जाती हैं। इमाम बुखारी का नैपकिन दरअसल भारत में स्वाधीनता और विभाजन की त्रासदी झेल रहे आम मुसलमानों का आत्मकथा है, जिनका राजनीतिक पार्टियां अपने अपने वोट बैंक के आधार पर आसानी से दोहन अथवा शोषण करती और अंत में जूठे नैपकिन के टुकड़ों की तरह हाथ पोंछकर उन्हें गन्दी नाली में फेंकती आई हैं। आम मुसलमानों की पीड़ा जिस सशक्त माध्यम व प्रतीकों द्वारा ज़ौक़ी की कहानियों में अभिव्यक्त होती हैं, वो इससे पहले बहुत कम देखने में आयी थी। बाबरी मस्जिद और गुजरात हो या स्वतन्त्रता के बाद सांप्रदायिक दंगों का काला इतिहास, ज़ौक़ी की विशेषता यही है कि वे केवल एक करुणामय और दारुण-गाथा सुनाकर आपको क्षणिक भावुक नहीं करते, बल्कि उन राजनीतिक सरोकारों को आज के सामाजिक सरोकारों से सीधे जोड़ते हैं और एक बड़े चिंतन का विषय बना देते हैं। इस दृष्टिकोण से देखें तो ‘नैपकिन’ से ‘पिरामिड’ तक की गाथा भारत के हाशिये पर फेंक दिए गए सारे मुसलमानों की आपबीती बन जाती है।
अनुक्रम
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