मनोरंजक कथाएँ >> बुन्देलखण्ड की लोक कथायें बुन्देलखण्ड की लोक कथायेंलालबहादुर सिंह चौहान
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बुन्देलखण्ड की लोक कथायें।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दो शब्द
किसी भी राष्ट्र की उन्नति का आगामी दायित्व बहुत बड़े अंशों में उस मुल्क
के होनहार बच्चों पर निर्भर करता है। जो आज किशोर हैं, वे ही कल राष्ट्र
के उत्तरदायी नागरिक होंगे। किशोरावस्था में ही बच्चों को मानसिक विकास,
चरित्र-निर्माण और उच्च आदर्श-संस्थान संबंधी रोचक लघु कथाओं के रूप में
कुछ शिक्षाऐं देकर यदि हम उनका पथ-प्रदर्शन करें और उन्हें सच्चे, सरल
प्रकृति वाले, परिश्रमी, देशभक्त तथा विचारशील नागरिक बनाने में योग दे
सकें तो यह उनके भावी जीवन के लिए प्रेरणादायक और बहुत उपयोगी बात हो।
भारत के बच्चों को भिन्न-भिन्न स्थानों के रहन-सहन, रंग-ढंग, रीति-रिवाज, धार्मिक विश्वास, साहस और वीरता आदि का बोध कराने के लिए आज ऐसे साहित्य की जरूरत है जो मनोरंजन और रोचक लोककथाओं के द्वारा उनकी उत्सुकता को जागृत कर उनकी जानकारी के क्षेत्र को अधिकाधिक विस्तृत और लाभदायक बना सके। अस्तु, मैं यह संकलन प्रस्तुत करते हुए आशा करता हूँ कि इसके अध्ययन से न केवल बालक ही लाभ उठायेंगे अपितु नव प्रौढ़ भी यथेष्ट जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
भारत के बच्चों को भिन्न-भिन्न स्थानों के रहन-सहन, रंग-ढंग, रीति-रिवाज, धार्मिक विश्वास, साहस और वीरता आदि का बोध कराने के लिए आज ऐसे साहित्य की जरूरत है जो मनोरंजन और रोचक लोककथाओं के द्वारा उनकी उत्सुकता को जागृत कर उनकी जानकारी के क्षेत्र को अधिकाधिक विस्तृत और लाभदायक बना सके। अस्तु, मैं यह संकलन प्रस्तुत करते हुए आशा करता हूँ कि इसके अध्ययन से न केवल बालक ही लाभ उठायेंगे अपितु नव प्रौढ़ भी यथेष्ट जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
-डॉ. लालबहादुर सिंह चौहान
अभिमत
बुन्देलखण्ड के इतिहास और संस्कृति से विद्वत समाज अच्छी तरह परिचित है।
स्वाभिमान, राष्ट्रीयता और प्रेम-गाथाओं से लबरेज अनेकों दास्तानें इस
क्षेत्र की स्वयं कहानी कहती हैं।
डॉ. लालबहादुर सिंह चौहान जी ने इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिए बुन्देलखण्ड के लोक जीवन को निकटता से देखने का प्रयास किया है। लोक जीवन में अनुगूँजित कथाओं को पाठकों के सामने लाने में वे अपने अध्ययन की गहराई के कारण सफल रहे हैं। इन कथाओं में कहीं व्यक्ति के लिए संदेश दिया गया है, कहीं समाज के लिए दिशा-निर्देश है तो कहीं पाठकों का मनोरंजन कराया गया है। लोक-जीवन के विश्वास को लेखक ने बड़े विश्वास के साथ प्रस्तुत किया है। लेखक अपने प्रयास में साधुवाद के पात्र हैं।
डॉ. लालबहादुर सिंह चौहान जी ने इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिए बुन्देलखण्ड के लोक जीवन को निकटता से देखने का प्रयास किया है। लोक जीवन में अनुगूँजित कथाओं को पाठकों के सामने लाने में वे अपने अध्ययन की गहराई के कारण सफल रहे हैं। इन कथाओं में कहीं व्यक्ति के लिए संदेश दिया गया है, कहीं समाज के लिए दिशा-निर्देश है तो कहीं पाठकों का मनोरंजन कराया गया है। लोक-जीवन के विश्वास को लेखक ने बड़े विश्वास के साथ प्रस्तुत किया है। लेखक अपने प्रयास में साधुवाद के पात्र हैं।
रामवीर सिंह
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष
जनजातीय भाषा अनुसंधान एवं शिक्षण सामग्री
निर्माण एकक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष
जनजातीय भाषा अनुसंधान एवं शिक्षण सामग्री
निर्माण एकक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
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