नारी विमर्श >> आनन्द धाम आनन्द धामआशापूर्णा देवी
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अक्सर हम परिस्थिति के साथ समझौता करते-करते इतना दबते चले जाते हैं कि जीवन के सही मूल्यों के लिए लड़ने की क्षमता भी खो बैठते हैं। केवल एक पीड़ा का अनुभव होता है और फिर हमारा ज़मीर सो जाता है।
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