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जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो

मुझे घर ले चलो

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :360
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5115
आईएसबीएन :9789352291526

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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान


स्टॅकविकेल में जर्मन सरकार के रुपयों से चलने वाला कलाकार-साहित्यकारों की सुविधा के लिए जो संगठन मौजूद है, उस मकान में ही, मेरी ही तरह आमंत्रित, स्टीव लेसी और ईरेन एविर भी ठहरे हुए थे। मेरी उन लोगों से जान-पहचान हुई। जब उन लोगों ने सुना कि मैं भी यहीं, इसी मकान के सबसे ऊपर की मंजिल में रहती हूँ तो भागकर मेरे पास आ पहुँचे और उन दोनों ने मुझे थियेटर चलने को आमंत्रित किया, जहाँ जाज़ संगीत का कार्यक्रम था। वहाँ जाकर मैंने देखा, ईरेन, 'शुभ विवाह' नामक मेरी कविता का अनुवाद, 'हैप्पी मैरेज' पढ़ रही है और स्टीव सप्रानो सेक्साफोन वजा रहा है। मेरी लिखी हुई कविता, गीत में कब ढल गई? स्टीव और ईरेन ने बताया कि वे दोनों मेरी 'शुभ विवाह' कविता अर्से से गा रहे हैं। मैंने वह गाना सुना, लेकिन सच पूछे तो मुझे न सुर ने छुआ, न शब्दों ने! स्टीव के एक इंटरव्यू में, मैंने पढ़ा कि स्टीव ने न्यूयार्क की किसी पत्रिका में मेरी 'शुभ विवाह' का अनुवाद 'हैप्पी मैरेज़' पढ़ी और इस कदर मुग्ध हुआ कि उसने और ईरन ने फैसला किया कि वे दोनों इसे गीत का रूप देंगे। उसके बाद तो स्टीव और इरेन ने अकल्पनीय कांड किया। मेरी अन्य कविताओं को भी सुर देने लगे। मैकआर्थर जीनियस पुरस्कार से पुरस्कृत स्टीव-ईरेन! स्टीव जाज़ संगीत के प्राणपुरुष, थेलोनियस मंक के साथ भी सैक्साफोन वजा चुके हैं! सन् 1880 से 1920 के दौरान रूस छोड़कर युक्त राष्ट्र में आश्रय लेने वाले, उस विशाल यहूदी दल में, उसके एक पुरखे भी शामिल थे। साहित्य-सांस्कृतिक जगत का एक बड़ा हिस्सा, इसी खानदान के नाम है।

स्टीव-ईरेन मुझे पाकर इस कदर उत्साहित हो उठे कि उन दोनों ने मुझसे और कविताओं की माँग की। मैंने न्यूयॉर्क से प्रकाशित अपना एक कविता संग्रह, 'द गेम इन रिवर्स' स्टीव को दे दिया। स्टीव ने उस किताब में संकलित कई-कई कविताओं को सुर दे डाला और ईरेन ने उसे आवाज़ में बाँधा। स्टीव सचमुच ही सपने देखने लगा। उसका सपना था, मेरी तमाम कविताओं पर जाज़ संगीत तैयार करना। सृष्टा को सृजन करना प्रिय है। रातोंरात उसने एक दल तैयार कर डाला। दुनिया के अनगिनत वादकों से उसकी जान-पहचान थी। उसने विभिन्न देशों से संगीतज्ञ भी जुटा लिए। सबको आमंत्रित भी कर डाला। स्विट्ज़रलैंड का पेटिया, हार्पसिकर्ड, बजाएगा। जर्मनी की टीना. सेक्सोफोन, कैथेराइन. आर्केडियन पर होगी। कैथेराइन भी जर्मनी की ही थी। बास गिटार पर फ्रांस का जां जैक, ड्रम पर ब्राजील का पावला होगा। फ्रांस का ओवान्डा तस्वीरें बनाएगा और ड्रेस तैयार करेगी नॉर्वे की डिजाइनर, पिया! स्टीव, सप्रानो सेक्साफोन बजाएगा और इरेन गाएगी। बर्लिन के नामी-गिरामी थियेटर हेवेल में पहला कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। तैयारियां शुरू हो गईं ! हर दिन रिहर्सल! तमाम वादक वर्लिन आ पहुँचे! स्टीव ने अपने ग्रुप का नाम दिया-जैम ऑपेरा! इस संकलन को नाम दिया गया-दि क्राइ! खर्च वगैरह डेआआडेर यानी जर्मन सरकार देगी।

खचाखच भीड़ भरे हेवेल थियेटर में कार्यक्रम आयोजित हुआ! मेरे लिए भी ड्रेस तैयार की गई। मुझे भी सबके साथ मंच पर बैठना पड़ा और कविताएँ पढ़नी पड़ीं। एक ही कार्यक्रम तीन शामों को प्रदर्शित किया गया! यह कार्यक्रम सिर्फ जर्मनी में ही नहीं, यूरोप के विभिन्न देशों के बड़े-बड़े मंच पर दि क्राइ, कार्यक्रम मंचित हुआ। फ्रांस, इटली, स्पेन, फिनलैंड, द नेदरलैंडस, युक्त राष्ट्र! वेनिस तक तो मैं साथ-साथ गई।

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    अनुक्रम

  1. जंजीर
  2. दूरदीपवासिनी
  3. खुली चिट्टी
  4. दुनिया के सफ़र पर
  5. भूमध्य सागर के तट पर
  6. दाह...
  7. देह-रक्षा
  8. एकाकी जीवन
  9. निर्वासित नारी की कविता
  10. मैं सकुशल नहीं हूँ

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