लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो

मुझे घर ले चलो

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :360
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5115
आईएसबीएन :9789352291526

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

419 पाठक हैं

औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान


वहाँ एक सीधे-सादे, अधेड़ सज्जन ने फुसफुसाकर कहा, “यह सब राजनैतिक पनाह पाने में काम आएगा।"

यह सुनकर निहायत वर्फ-सा एक अहसास मेरे तन-बदन में तीखी सूइयाँ चुभोने लगा। तस्वीर-पर्व ख़त्म होते ही सभी लोगों ने विदा ली। पल-भर में चारों तरफ निर्जन हो आया। मैं काफी देर उसी मुद्रा में खड़ी रही। मुझे कुछ देर और उसी तरह शायद खड़ा रहना पड़ता, अगर आयोजक या पुलिस फौज में से कोई आकर मुझे वहाँ से हटा न ले जाता।

मुझे ये सारी बातें मरीचिका जैसी लगती है। अचानक मैं ठिठककर खड़ी हो गई। मैंने आँखें मल-मलकर देखा। मुझे लगा, मैंने जो देखा था, वह गलत देखा था। मुझे अहसास हुआ, कहीं गहरे बेहद तीखा अहसास जाग उठा। वे तमाम लोग, जो इस सभा में अभी-अभी मरा गुणगान कर गए, गुच्छ-गुच्छ प्रशसा बिखर गए, वहीं लोग शायद पीठ पीछे अश्लील भाषा में मुझे गालियाँ देते हैं। ये ही लोग अगर मुझे अकेले में पा जाएँ, तो मेरा शायद खून ही कर दें। वे लोग चाहते हैं कि उनका नाम कनाड़ा के रजिस्टर में दर्ज हो जाए! उनकी कोशिश है कि उन लोगों की आवाज़ मानवता के पक्षधर के तौर पर स्वीकार कर ली जाए। आज जिन लोगों ने बगल में खड़े होकर तस्वीरें उतरवाईं, जिन लोगों ने राजनैतिक शरण माँगते हुए आवेदन किया है. अब वही लोग प्रमाण के तौर पर, आज की तस्वीर भी जोड देंगे और दावा करेंगे कि वे लोग मेरे चचेरे या ममरे या फुफेरे भाई हैं या मेरे दोस्त या मेरे भक्त हैं। यह भी घोषित किया जाएगा कि वे लोग मुझे आदर्श मानकर सड़कों पर उतरे हैं और कट्टरवादियों के गुस्से की आग के शिकार हो गए और उन पर मौत की धमकी झूल रही है! इसलिए कनाडा को उन लोगों को पनाह देनी ही होगी। जेनेवा कन्वेंशन में यह बात साफ़-साफ़ कही गई है कि जिन लोगों को अपने देश में मौत की धमकी दी जाएँ, उन्हें राजनैतिक शरण दी जाएँ । राष्ट्र समूह या राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों को जेनेवा कन्वेंशन की हिदायतों का अनुसरण करना चाहिए। बस, उन लोगों को राजनीतिक आश्रय तत्काल प्राप्त हो जाएगा। मैंने सुना है कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के विभिन्न देशों में अनगिनत मुसलमान लड़कों ने 'लज्जा' किताव दिखाकर और अपने हिन्दू होने का परिचय देकर, राजनैतिक आश्रय हथिया लिया। देश में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है, हिन्दुओं की हत्या की जा रही है, इसका प्रमाण है-'लज्जा'। बहरहाल, जो मुसलमान लड़के 'लज्जा' दिखाकर, यहाँ अपने बस जाने का पक्का इंतजाम कर लेते हैं. वही लोग 'लज्जा' लिखने के लिये मुझे माँ-बाप की गालियाँ देकर मेरा उद्धार (!) करते हैं। हाँ, वही लोग, जो
मेरा समर्थक या भक्त होने का दावा करते हुए, विभिन्न देशों से राजनैतिक आश्रय की माँग करते हैं और हासिल भी कर चुके हैं, उन लोगों में शायद कोई भी मानवता या मानवाधिकार या नारी स्वाधीनता या लोकतंत्र में कतई विश्वास नहीं करता और . मुझसे भयानक नफरत करते हैं।

मुझे बेहद अकेलापन लगता है! ऐसा कोई भी बंदा है, जो मेरी तरह निपट अकेला है? इतना कुछ तो मिला है जीवन में, इतनी यश-ख्याति अर्जित की है, इसके वावजूद इतना खाली-खाली क्यों लगता है? दुख क्यों मुझे पल-भर के लिए मुक्ति नहीं करता? कभी तो मुझे छोड़कर कहीं ओर चला जाता।


...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. जंजीर
  2. दूरदीपवासिनी
  3. खुली चिट्टी
  4. दुनिया के सफ़र पर
  5. भूमध्य सागर के तट पर
  6. दाह...
  7. देह-रक्षा
  8. एकाकी जीवन
  9. निर्वासित नारी की कविता
  10. मैं सकुशल नहीं हूँ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book