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जब शेर भी उड़ान भरता था

निक ग्रीव्स

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 1996
पृष्ठ :140
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 516
आईएसबीएन :81-237-2007-6

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अफ्रीकी पुराकथाओं की तीस लुभावनी जन्तु-कथाएं। अधिकांश कथाओं के साथ सुन्दर रंगीन चित्र, साथ ही श्याम-शवेत चित्र, साथ ही इन जन्तुओं के क्षेत्र दर्शाने वाले अफ्रीका के मानचित्र।

Jab Sher Bhi Udan Bharta tha - A hindi Book by - Nick Grieves जब शेर भी उड़ान भरता था - निक ग्रीव्स

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


एक दिन ऐसा था कि अफ्रीका महाद्वीप में जानवर झुण्ड-के-झुण्ड दिखाई देते थे। धीरे-धीरे ये पुराने जमाने की चीज़ बनते जा रहे हैं। अब तो एक नया और अधिक बड़ा खतरा भी पैदा हो गया है। यह है इन्सानी आबादी का विस्तार। अन्धाधुन्ध चराई के कारण जमीन निचाट बना दी जा रही है। आये साल अफ्रीका के वृष्टि-वन, वनक्षेत्र और मूल्यवान कृषि-क्षेत्र लगातार घटते जा रहे हैं क्योंकि धरती के दुरुपयोग के कारण यह ऊसर होती चली जा रही है। प्राकृतिक परिवेश में इस विनाश से इस क्षेत्र की ही नहीं, पूरी दुनिया की जलवायु भी बदलती जा रही है और इस विनाश की रोकथाम हो ही नहीं पा रही है।
अफ्रीका एक मोड़ पर है। हमें कुछ सा करना होगा कि यहाँ-वहाँ वनों के जो टुकड़े बचे रह गये हैं, वे भावी पीढ़ियों के लिए पूरी तरह बचे रह सके। जीवन के जिस जटिल ताने-बाने में हमारा पालन-पोषण हुआ और हम सब वह बन पाये हैं जो हम आज हैं, उसी का हिस्सा ये भी हैं। यदि ये खत्म हो गये तो यह दुनिया भी बची नहीं रह पायेगी।
यह पुस्तक इससे पहले प्रकाशित पुस्तक ‘जब दरियाई हाथी भी झबरा था’ की ही अगली कड़ी है। इसमें यह दिखाने की कोशिश की गयी है कि अफ्रीकी लेक-कथाओं की इस समृद्ध विरासत में बड़े से लेकर छोटे जीवों को शामिल किया गया है और हम सभी इस जीवन की उस असीम विविधता के ही हिस्से हैं जिसके लिए आज खतरा पैदा हो गया है।

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