बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
"मंदोदरी!" रावण का चीत्कार गूंजा, "घर के झगड़े अन्य बात है; और बाहरी शत्रुओं द्वारा मेरे किसी सम्बन्धी का अपमान किया जाना, अन्य बात। रावण न्याय-अन्याय और औचित्यानौचित्य नहीं देखता है।
वह संबंधों को देखता है। कोई मेरे संबंधियों का अपमान करेगा, उनका विरोध करेगा, उन्हें हानि पहुंचाएगा, तो मैं उसका प्रतिशोध अवश्य लूंगा।"
"किसी भी संबंधी का?"
"हां, किसी भी संबंधी का। राक्षसराज रावण आज विश्व की सबसे बड़ी शक्ति है। उसके संबंधियों की इच्छाओं का विरोध करने वाले को प्राण-दण्ड के लिए प्रस्तुत रहना चाहिए।"
"तो सम्राट्!" मंदोदरी का स्वर अत्यंत शांत था, "जब मेरे भाई मायावी का वध बाली ने वन्य-पशु के समान कर डाला था, तो सम्राट् उसका प्रतिशोध लेने क्यों नहीं गए? मायावी राक्षसराज का संबंधी नहीं था क्या? या बाली की पत्नी सीता के समान सुन्दरी और युवती नहीं थी-जिसके अपहरण के लिए राक्षसराज लालायित हो उठते!"
"सम्राज्ञा!" लगा, रावण का स्वर फूट जाएगा।
"यह तो विचित्र प्रतिशोध है।" मंदोदरी अपने शांत स्वर में बोलती गयी, "एक स्त्री के अपमान का प्रतिशोध दूसरी स्त्री के अपमान से लेना राक्षसराज की विचित्र नीति है...राक्षसराज ने न बाली का वध किया न उस वनवासी का। बाली का वध क्यों नहीं किया? राक्षसराज उससे भयभीत थे? या उन्हें अपनी मदिरा तथा गणिकाओं से अवकाश नहीं था? या सम्राज्ञी का भाई होने के कारण मायावी सम्रा़ट् का संबंधी नहीं था?"
"मंदोदरी!" रावण का स्वर कोमल हो गया, "समझने का प्रयत्न करो। बाली मेरा मित्र है। उसने आज तक राक्षसों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं किया।"
"अर्थात उसने वानर कन्याओं के हरण और वानरों को दास बनाकर बेचे जाने अथवा उनका वध कर लंका के हाटों में उनका मांस बेचने का विरोध नहीं किया।"
"अनेक राजनीतिक कारण हैं।" रावण ने पुनः समझाने का प्रयत्न किया, "वह आर्य ऋर्षियों को अपने राज्य में घुसने नहीं देता। वह वानरों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं देता। वह सशस्त्र सेनाओं का निर्माण नहीं करता, नहीं तो लंका की नाक पर एक राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी खड़ा हो जाएगा।"
"यदि बाली सम्राट् के भाई का वध कर देता, तब भी सम्राट् यही कहते?" मंदोदरी ने अपांग से रावण को देखा, "या यह तर्क केवल सम्राज्ञी के भाई के वध के लिए है?"
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