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राम कथा - साक्षात्कार

नरेन्द्र कोहली

प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :173
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 533
आईएसबीएन :81-216-0765-5

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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान

इस बीच, जाने कब राम ने वह शाखा काटकर भूमि पर डाल दी थी। उनके साथियों ने लकड़ियां संभालकर बांध ली थीं; और वे लोग लौट जाने की तैयारी में थे। यह सब शूर्पणखा की आंखों के सम्मुख घटा था, और फिर भी उसने कुछ नहीं देखा था। वह जैसे अवश-सी बैठी रह गयी थी। समझ नहीं पा रही थी कि उसका सारा शरीर आग में जल रहा था या स्वेद में नहा रहा था। राम को अपनी आंखों देख, उसका मन जुड़ा गया था, या कामना से खंड-खंड हो रहा था। ...वे लोग अपनी लकड़ियां उठाकर चले गए; और शूर्पणखा का स्वप्न भंग हो गया। वह जैसे नींद से जागी, उसकी चेतना लौटी। स्वयं उसके लिए अपना यह रूप एकदम नया था। जनस्थान की स्वामिनी और रावण की बहन शूर्पणखा-इतनी निरीह! केवल एक पुरुष के रूप के हाथों...कैसी विडंबना!...सहसा उसे लगा, वह अपने-आपको पहचान रही है।...इस प्रकार चुपचाप बैठे रह जाना शूर्पणखा का स्वभाव नहीं है। वह अपने आदेश से इस पुरुष को प्राप्त करेगी। जनस्थान से अंगरक्षकों का पूरा एक गुल्म भेजेगी, जो राम को उसकी इच्छा के विरुद्ध भी उठाकर ले जाएगा।...जब तक शूर्पणखा ने राम को देखा नहीं था, तब तक बात और थी; किंतु अब वह उसे वन में इस प्रकार तपस्वी के रूप में रहकर, अपने यौवन को नष्ट करने की अनुमति नहीं दे सकती। यदि राम को अपने रूप और यौवन की, आवश्यकता नहीं तो न सही, शूर्पणखा को उसकी आवश्यकता है। वह उस रूप और यौवन का मूल्य समझती है। मणि का मूल्य तो कोई मणि-व्यवसायी ही समझ सकता है।...शूर्पणखा जैसे आविष्टावस्था में चल रही थी। मस्तिष्क राम के विषय में सोच रहा था, और पग अभ्यासवश ही अपने मार्ग पर चल रहे थे।

तपस्वी के वेश में राम कैसा सुंदर लग रहा था; किंतु शूर्पणखा उसकी जटाएं खुलवा देगी। उन कुंतलों का श्रृंगार होगा। वह कुंतल-मेघ कैसा लगेगा? शरीर पर राजसी वस्त्र और अलंकार होंगे। पुष्पों की सुगंध होगी...कैसा लगेगा राम?

''आपने कुछ पूछा, स्वामिनी?'' अंगरक्षक कह रहा था।

''नहीं! रथ चलाओ।''

शूर्पणखा ने आंखें बंद कर लीं। उसने अपनी कल्पना में राम के शरीर का स्वेद अपने आंचल से पोंछ डाला। शरीर पर विशेष सुगंधित चूर्ण का लेप किया। चंदन और कस्तुरी से सुगंधित किया; और प्रशंसावाचक दृष्टि से राम को देखा...उसे लगा, राम ने कुल्हाड़ी उठाकर वृक्ष काटना शुरू कर दिया है। क्षण-भर में उसका शरीर पुनः स्वेद से नहा गया।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पांच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ

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