बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
जटायु ने कृतसंकल्प को राम के पास भेजा। वह संदेश लेकर लौटा, ''त्तात जटायु अपने स्थान पर ही रहें। वह सेना बहुत बड़ी नहीं है। यदि वह लक्ष्मण पर आक्रमण करने का प्रयत्न करेगी तो लक्ष्मण, सिंहनाद तथा अनिन्द्य की वाहिनियों के बीच घिर जाएगी। हां, उसे और सहायता पहुंचाने के लिए यदि कोई टुकड़ी जाए तो अपना व्यूह छोड़कर भी उसे रोका जाए। ऐसी स्थिति में तात जटायु के स्थान पर भीखन अपनी सेना लेकर आ जाएगा।''
जटायु उस सेना की गतिविधि देखते रहे। आज यह विचित्र युद्ध हो रहा था। खर की सेना से यह उनकी पहली भिड़ंत नहीं थी। अनेक बार खर के सैनिकों ने उनके द्वारा रक्षित बस्तियों को उजाड़ा था। अनेक बार जटायु ने उन पर गुप्त आक्रमण किए थे, किंतु ऐसा योजना-बद्ध युद्ध करने के साधन वे आज तक नहीं जुटा पाए थे, राम ने यह अद्भुत व्यूह रचा था। कहां-कहां से जन-सैनिक राम की सहायता के लिए आ गए थे-जैसे सारे क्षेत्र का प्रत्येक बच्चा, शस्त्र-बद्ध हो, राम का सैनिक हो गया हो। और सबको सुरक्षित स्थानों पर, ओट में छिपा, राम संपूर्ण राक्षसी सेना के सम्मुख अकेले खड़े हैं तथा खर को आक्रमण के लिए उकसा रहे हैं। खर की सेना जब राम को एकाकी और निरीह जानकर झपटती है तो घास और पत्तों, ढूहों और ढेलों में छिपे, राम के जन-सैनिक, अपने बाणों से छलनी कर, सेना को पीछे लौटा देते हैं...कब से आवश्यकता थी इस क्षेत्र के जन-जन को एक-एक धनुष की। वही धनुष राम ने प्रजा के हाथों में पकड़ा दिया है। सारी राक्षसी सेना को उसके समस्त आयुधों के होते हुए भी, यह धनुष खा जाएगा। जटायु को पूर्ण विश्वास है कि इस क्षेत्र में अब राक्षस पनप नहीं पाएंगे ...त्रिशिरा की सेना की वह टुकड़ी ढूहों के पीछे न जाकर, ढूहों की ओर ही पलटी। जटायु के सम्मुख, राक्षसों की योजना स्पष्ट हो गयी। वे लोग स्वयं जटायु की वाहिनी पर ही आक्रमण करने आ रहे थे। उनका प्रयत्न, उन पर पिछली ओर से आक्रमण करने का था...
जटायु ने तत्काल शुभबुद्धि की टुकड़ियों को वहां से हटाया, वे राक्षस सेना के एकदम सामने पड़ रहे थे, और कृतसंकल्प को आगे बढ़ने का संकेत किया।...सहसा जटायु के रक्त में जैसे कोई मद्य घुल गया-इस दुकड़ी का एक भी सैनिक जीवित बचकर नहीं जाएगा-वे निश्चित थे। आज इनसे इनके द्वारा उजाड़ी गयी बस्तियों और ग्रामों का प्रतिशोध लिया जाएगा। राक्षस बहुत सावधानी से बढ़ रहे थे। यह उनका भिन्न प्रकार का अभियान था, नहीं तो वे भयंकर चीत्कारों और कोलाहल के साथ आक्रमण कर रहे थे। इस बार उन्होंने अपने शस्त्र भी नहीं चमकाए थे। कदाचित् उनका विचार था कि उन्हें किसी ने देखा नहीं है और वे लोग आकस्मिक आक्रमण करने में सफलता पा सकेंगे...
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