बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
सीता-हरण का राम पर क्या प्रभाव होगा?...
मां-बाप ने उसे घर से निकाल दिया है। उसने प्रचार तो यही कर रखा है कि पिता के सत्य की रक्षा के लिए, वह चौदह वर्षों का वनवास भोग रहा है; पर रावण ऐसे 'सत्य' और 'वनवास' को भली प्रकार समझता है। ये लोग ऐसी कथाएं गढ़ने और ढकोसले पालने में बहुत दक्ष हैं। जब मां-बाप ने घर से निकाल ही दिया है, तो क्या कहे बेचारा! रावण ने सुना था कि चित्रकूट में राम का सौतेला भाई सेना लेकर उसे मनाकर अयोध्या लौटा ले जाने के लिए आया था। क्यों नहीं लौट गया वह अयोध्या ढोंगी कहीं का। चित्रकूट को छोड़, पंचवटी क्यों चला आया? ऐसे प्रश्नों के उत्तर रावण अच्छी तरह समझता है। सेनाएं लेकर कोई किसी को मनाने नहीं जाता। हत्या के भय से अयोध्या में घुसने का साहस राम कर नहीं पाया होगा। उल्टे अयोध्या से और भी दूर भाग आया...।
अयोध्या से राम को कोई सहायता नहीं मिल सकती। अतः वनवासियों और तपस्वियों का संगठन करता फिर रहा है। किसके लिए? अयोध्या से लड़ने के लिए अथवा राक्षसों से भिड़ने के लिए? किसी के लिए भी हो, पर अभी उसमें उत्साह है। उसके उत्साह को तोड़ना होगा। उसे हतोत्साहित करना होगा। शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध तो लेना ही है। साथ-ही-साथ उसके उत्साह तथा संगठन को यदि तोड़ा न गया, तो वह राक्षसों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण हो सकता है।
यदि सीता-हरण हो जाए तो भी वह इसी प्रकार का उत्साही रहेगा? क्या तब भी वनवासियों का संगठन करता फिरेगा? सीता के प्रति अपने प्रेम के कारण, उसकी अनुपस्थिति में वह दीन और हत्प्रभ नहीं हो जाएगा? और पत्नी के अपहरण के अपमान के आघात से पागल होकर वन के वृक्षों से अपना सिर नहीं मारता फिरेगा?
...कदाचित् यही होगा। शूर्पणखा भी यही कहती है। यही सरल मार्ग है। दंडक वन में से किसी एक स्त्री का अपहरण रावण के लिए तनिक भी कठिन नहीं होगा। एक तो वहां जनसंख्या इतनी विरल है कि एक आश्रम में घटित घटनाओं का समाचार दूसरे आश्रम तक पहुंचने में महीनों निकल जाते हैं। फिर वहां कोई नागरिक-सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है। शूर्पणखा और अकंपन दोनों ने ही, राम की संचार-व्यवस्था की प्रशंसा की है किंतु वह सैनिक गतिविधियों के लिए है। एक-दो व्यक्तियों के आवागमन पर किसका ध्यान जाएगा। और फिर उनकी संचार-व्यवस्था के क्षेत्र में रावण को रहना ही कितनी देर है। जनस्थान से बाहर निकलते ही वह उनकी पकड़ से दूर हो जाएगा।...यदि किसी प्रकार राम और लक्ष्मण को आश्रम से हटाकर कहीं दूर ले जाया जा सके, तो आश्रम में ही सीता की हत्या की जा सकती है; आश्रम से कुछ दूर ले जाकर उसका वध किया जा सकता है; अथवा उसे उठाकर लंका लाया जा सकता है। रावण के पास वेगवान वाहन हैं; इतने वेगवान कि दंडकवासी जातियों के लिए यह अविश्वसनीय है। उन्होंने अभी यातायात-व्यवस्था की बात तक नहीं सोची और राक्षसों ने तीव्रगामी अश्वों की व्यवस्थित चौकियां तथा शक्तिशाली एवं क्षिप्रगामी नौकाओं का प्रबंध कर रखा है। रावण निरंतर चलता हुआ एक दिन में बिना किसी कठिनाई के सीता को लंका में ला सकता है।
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