आचार्य श्रीराम किंकर जी >> अहंकार के रूप अहंकार के रूपश्रीरामकिंकर जी महाराज
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जीव का सबसे बड़ा आन्तरिक शत्रु यदि कोई है तो वह है ‘अहं’। संसार में भी संघर्ष टकराहट का मुख्य हेतु है यह ‘‘मैं’’।
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