लोगों की राय

हास्य-व्यंग्य >> विश्व के उत्कृष्ट हास्य-व्यंग्य

विश्व के उत्कृष्ट हास्य-व्यंग्य

अनुराग बसु

प्रकाशक : अनुरोध प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5739
आईएसबीएन :81-88135-27-5

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

142 पाठक हैं

प्रत्येक लेख मर्मभेदी, संवेदनात्मक और सघन तथ्यों का उद्घाटन करता है और पाठकों को वास्तविकता से साक्षात्कार कराता है।

Vishva ke utkrastha hasya vyangya

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

तीनों शब्द-शक्तियों-अभिधा, लक्षणा, व्यंजना में से व्यंजना को अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम माना गया है, क्योंकि इसके द्वारा तीखी-से-तीखी बात बहुत-ही सहजता और सरलता से कही जा सकती है कहा भी गया है।


सत सैयां के दोहरे,
ज्यों नाविक के तीर।
देखने में छोटे लगें,
घाव करें गम्भीर।।


प्रस्तुत पुस्तक में विश्व-साहित्य के उच्च कोटि के पन्द्रह व्यंग्यकारों के व्यंग्य-लेखों को संकलित किया गया है। प्रत्येक लेख मर्मभेदी, संवेदनात्मक और सघन तथ्यों का उद्घाटन करता है और पाठकों को वास्तविकता से साक्षात्कार कराता है। व्यंग्य-विधा की यह उत्कृष्ट पुस्तक मर्मज्ञ पाठकों को ज़रूर रुचिकर लगेगी, ऐसी आशा है।


दिलफेंक दादा


-राबर्ट  फ़ाउंटेन

जब कभी मेरे पप्पा दादा से कहते कि डेड़ सौ पौंड के भीमकाय शरीरवाले आदमी को स्त्रियों से दिल लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए तो दादा तनकर उत्तर देते, ‘‘सारी, बात मज़बूत शरीर की होती है। समझते हो ?’’
पप्पा चुप हो जाते। वास्तव में मेरे दादा को अपने शरीर के मजबूत होने का पूरा यकीन था और उसका ताज़ा-तरीन प्रदर्शन उन्होंने लाचाने से इश्क करके किया।

एक शाम वह खूब बन-ठन कर खाने के कमरे में प्रकट हुए। उन्होंने दूध जैसी सफ़ेद जैकेट पहन रखी थी, जिसपर केवल एक ब्रांडी के हलके-से दाग के सिवा कोई धब्बा नहीं था। मल्लाहों जैसी नीली सफ़ेद पट्टी की कमीज़ और हल्के आसमान रंग की पतलून फब रही थी। सिर पर तिनकों का हैट इस प्रकार टेड़ा रखा था कि अब गिरा कि तब गिरा। हाथ में जर्द रंग की छड़ी थी, जिसे वह गवर्नर जनरल के बाडीगार्ड के अंदाज में घुमा रहे थे। उन्होंने घोषणा कि कि वह लेडी लाचाने से मिलने जा रहे हैं।

‘‘आप मौत से गले मिलने जा रहे हैं।’’ चाचा फ्लैक्स ने कुढ़ कर कहा।
पप्पा बोले, ‘‘चलिए, आपके हिलते हुए दाँतों की समस्या तो हल हो जाएगी।’’
दादा की आँखें चमक उठीं और नृत्य के अंदाज में टाँग को हिला कर कहा, ‘‘जिस किसी को भी बेहतर मौत से साक्षात्कार होने का तरीका आता है, वह अपने कदम कभी पीछे नहीं हटाएगा।’’
‘‘इस प्रकार नृत्य करने से आप अपनी टांगें तुड़वा बैठेंगे।’’ चाचा डेसमंड ने हँसते हुए कहा।
‘‘मैं तुम दोनों के बराबर हूँ।’’ दादा ने सीना फुलाकर कहा, ‘‘अच्छा मैं तो चला अपनी महबूबा के पास।’’
‘‘कब्र मुँह खोले पड़ी होगी।’’ पीछे से चाचा फ्लैक्स ने आवाज़ लगाई।

बाद में इधर-उधर से और कुछ अपनी ओर से कुरेदने से मुझे उनकी प्रेमकथा के बारे में बहुत कुछ पता चला था। इस प्रेम-प्रसंग में उनका एक प्रतिद्वंदी भी था। उसका नाम गनबोट होज था, और वह दो मुँह जोर घोड़ो के छोकरे में मदिरालयों में बियर सप्लाई करता था। दो बार उसे छाती फुलाने की चैंपियनशिप पर पुरस्कार मिल चुका था। इसके अतिरिक्त वह मनोविनोद के रूप में शारीरिक करतब भी दिखाता था। स्वयं मैंने उसे सीने पर बड़े-बड़े पत्थरों को हथौड़ों से चकनाचूर कराते हुए देखा था। मेरे दादा अपनी आयु और वज़न की दृष्टि से किसी प्रकार भी उस फौलादी का मुकाबला नहीं कर सकते थे।

जब उन्होंने इस प्रेम का सूत्रपात किया, तो उन्हें यह बात पता नहीं थी कि उनका एक प्रतिदंद्वी भी प्रेमिका के द्वार पर मिलेगा। विधवा लाचाने से उसकी पहली मुलाकात गिरिजा में हुई थी। वह दूसरों के साथ लहक-लहक कर प्रार्थना-गीत गा रहे थे और उनके हाथ-पाँव भी उनन्मत्त रूप से हरकत कर रहे थे। उनकी यही अदा विधवा को भी भा गई और पहली नज़र का तीर दोनों ओर से चल गया। उसने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया और यह पहुँच गए। बस, वहीं से उनका ताज़ा-तरीन रोमांस शुरू हुआ।

एक दिन मैं रसोईघर में मम्मी के पास बैठा था कि अचानक पूछ बैठा, ‘‘दादा ने उस स्त्री से रोमांस क्यों शुरू किया, जबकि.....मैं ऊंगलियों पर गिनने लगा और संख्या पूरी करके कहा, ‘‘जबकि वह पहले ही मादाम फ्रेशेट, लेडी प्रनोड, मैड मवाजेल कोकेटो और मादाम मैकेनल से.....’’
 
‘‘बस आगे न गिनना !’’ पीछे से पप्पा की आवाज़ आई। मैं उछल पड़ा। वह कहने लगे, ‘‘तुम्हारा सारा दिन उनकी प्रेमिकाओं के नाम गिनने में ही बीत जाएगा।’’
‘‘क्या यह बातें बच्चों को बताने की हैं ?’’ मम्मी ने ज़रा तुनुक कर कहा।
‘‘अगर हम न बताएँगे, तो उन्हें हमारे अशुभचिंतकों और ईर्ष्यालुओं से पता चल जाएँगी।’’ पप्पा ने यह कहकर मम्मी को निरुत्तर कर दिया।
मेरी हिम्मत बँधी और मैंने पूछा, ‘‘लेकिन वह ऐसा क्यों करते हैं ? क्यों ?’’
 
‘‘प्रत्येक व्यक्ति का कोई-न-कोई मनोविनोद होता है। कुछ लोग तितलियाँ पालते हैं। कुछ लोग अख़बारों की कतरने जमा करते हैं। तुम्हारे चाचा हेसमंड को गिराकर बजाने का शौक है चाचा फ्लैक्स को अफवाहें उड़ाने का। तुम्हारे दादा की दिलचस्पी पचास वर्ष से ऊपर की स्त्रियों में है। पचास वर्ष से अधिक...यह ख्याल रहे वह जवान स्त्रियों का पीछा नहीं करते हैं।’’
 
‘‘अब बस भी करो !’’ मम्मी ने झुँझला कर कहा और पप्पा मुस्करा कर चुप हो गए।

मैंने निश्चय कर लिया दादा से इन प्रेम-प्रसंगों का कारण पूछूँगा, ताकि मेरी जानकारी में इज़ाफ़ा हो। अलगे ही दिन शाम को जब वह टेरेस पर अपने झूलनेवाली कुरसी पर बैठे हलकोर खाते हुए घूँट-घूँट बियर पी रहे थे और गुनगुनाते भी जा रहे थे, तभी मैं पहुँच गया। पहले खुशगवार मौसम की प्रशंसा की। फिर उनके स्पर्धनीय स्वास्थ्य और विनोदप्रियता के गुण गाए। अंत में असली बात जवान पर ले आया।

‘‘बात यह है’’ उन्होंने दार्शनिकों की तरह एक भौंह उठाकर कहा, ‘‘कि पचास वर्ष की आयु में स्त्री एक पूर्ण स्त्री होती है, उसी प्रकार जैसे सूर्य के प्रकाश में एक गुलाब के फूल के फूल को हाथ में उठाया जाए। पैंतालिस वर्ष तक वह पूर्ण नहीं होती। मेरा मतलब है। भावना चेतना की दृष्टि से। अब हमारे यहाँ पचास वर्षीया स्त्रियों बहुत सारी हैं, लेकिन उनकी कद्र करनेवाले मर्द कम हैं। इसका कारण...?’’
 
‘‘क्या कारण है इसका ?’’ मैंने तन्मय होकर पूछा। ‘‘कारण यह है कि इतनी आयु में मर्द अधिकांशतः विवाहित होते हैं, और सौंदर्य अनुभूति खो बैठते हैं और जो कुवारे या रँडवे होते हैं, वह पेट के अलसर से ग्रस्त होते हैं। अलसर-वाला व्यक्ति रोमांटिक स्वभाव का हो ही नहीं सकता। मेरा पेट अंदर से फौलाद की तरह मज़बूत है।’’ उन्होंने इसका प्रदर्शन पेट का ढोल बजा कर किया। मैं इससे अधिक जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता था। इसलिए उनसे आज्ञा लेकर चला आया।
फिर यह हुआ कि एक दिन उनके प्रतिद्वंद्वी गनबोट से उनकी मुठभेंड़ हो गई। वह लेडी लाचाने के सामने बैठे उनकी सुन्दरता के गुणगान कर रहे थे कि वह आ धमका। दादा के कथनानुसार, उसने चुस्त सूट पहन रखा था, जिसके कारण ऐसा नज़र आता था, जैसे कसाई ने बैल की जबान को ब्राउन रंग के कपड़े में लपेट रखा हो। गले में इलास्टिक की पट्टी से बँधी हुई ‘बो’ थी। चेहरे को रसोई के फ़र्श की तरह रगड़-रगड़ कर चमका रखा और उसके फावड़ा रूपी हाथों में चाकलेट का डिब्बा था।

दादा ने कहा, ‘‘जब उसने मुझे देखा तो अपना उपहार मेज़ पर रख दिया और बैल की तरह डकार कर पूछा कि यह कौन है ? पचास वर्षीया लाचाने ने उसे बैठकर मेरी बातें सुनने को कहा और वह अपने नथुने फुला कर बैठ गया। अब जो मैं शुरू हुआ हूँ, तो रुकता कहाँ। मेरी बातचीत का अधिकतर हिस्सा फ्रांसीसी भाषा में था, और वह ठहरा एक अनपढ-जाहिल ! मैंने चित्रकारी और संगीत से लेकर पार्लियामेंट और कानून बनाने तक के विषयों पर प्रवाह से विचार प्रकट किए और मेरा अनुमान था कि वह मंदबुद्धि इस दौरान में सो जाएगा, लेकिन मेरा अनुमान गलत निकला, क्योंकि मैं बोलते-बोलते सो गया।’’

दादा के साथ मेरी इस बैठक को कुछ दिन बीते थे  कि एक दिन मैंने गनबोट के बारे में बाहर से एक बात सुनी। ईर्ष्या से वह पागल हो गया था और उसने कसम खा ली थी कि दादा को धरती से नहीं, तो कम-से-कम मुकाबले के दौरान से हटा कर ही दम ही लेगा। मैंने यह मनहूस ख़बर दादा को सुनाई, तो उनके शरीर में झुरझुरी-सी आ गई, लेकिन उन्होंने फौरन सँभलकर किसी अज्ञात विद्वान का कथन सुनाया कि प्रेम में प्राण देना बीमार होकर मरने से हजार दर्जा अच्छा है, विशेषतः पेट के अलसर से।

शायद गनबोट को उसके संकल्पों का पता चल गया था या उसे आशंका थी कि दादा की पसलियाँ तोड़ने को लेडी लाचाने पसंद नहीं करेगी, इसलिए उसने एक चाल चली। एक दिन एक पचास वर्ष से ऊपर आयु की महिला हमारे यहाँ आ धमकी। उसने शोर मचाकर बताया कि दादा ने लिखित रूप में उससे शादी करने का वायदा कर रखा है, लेकिन एक मुद्दत बीत जाने पर भी अपना वायदा पूरा नहीं कर रहे हैं। दादा प्रायः अपनी प्रेमिकाओं को प्रेम-पत्र भी लिखते रहते थे, इसलिए उन्होंने इस आरोप से इंकार नहीं किया। मैडमोजेल मेनक्लोट को बढ़िया मदिरा का गिलास पेश किया। उसे अपने सैनिक बटनों और फीतों का खडार दिखाया। उससे पूछा कि क्या कभी उसने अपने प्रशंसकों के सीमित क्षेत्र से निकलकर स्टेज पर अपने सौंदर्य का जादू जगाने के बारे में नहीं सोचा।....आदि-आदि ! वह जितनी क्रोध से भरी आई थी, उतनी ही ठंडी होकर गई और जाते-जाते शिष्टाचारवश ‘‘शुक्रिया’’ भी अदा कर गई।

गनबोट चुपचाप नहीं बैठा था। कुछ दिन बीते कि एक अन्य महिला ने दादा को अदालत में घसीटा। उसने उनपर ज़बरदस्ती करने का अभियोग लगाया था। उन्होंने इस आरोप को बहुत धैर्य से सुना और अदालत को बताया कि उन्होंने इस महिला को जीवन में पहली बार देखा है। यह महिला दो नाजायज़ बच्चों की माँ है और इसे चोरी के अपराध में एक बार सजा हो चुकी है। मुकदमा ख़ारिज कर दिया गया और दादा को अभियोग से सम्मानपूर्वक मुक्त कर दिया गया। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने इस महिला के बो में यह जानकारी कहाँ से प्राप्त की, तो वह शर्लाक होम्स जैसे अंदाज़ में बोले, ‘‘अपना सम्मान बचानेवालों को जासूसों और गुप्तचरों की सेवाएँ भी प्राप्त करनी पड़ती है।’’

इस मुकदमें की कहानी के साथ उनकी तस्वीर भी स्थानीय समाचार-पत्रों ‘ओटावा सिटीजन’ और ‘ले-राइट’ में प्रकाशित हुई।
गनबोट अपनी पराजय से तिलमिलाकर रह गया होगा, क्योंकि बड़ी भयभीत करने वाली चीजें दादा के नाम पार्सलों में आने लगीं- मरा हुआ चूहा, जिंदा, उल्लू मुरदे की खोपड़ी आदि। दादा इन पार्सलों को खोलकर बहुत आनंदित होते। उनपर जादू-टोने का प्रभाव क्या पड़ता, वह स्वयं एक जिंदा भूत थे। एक बार भविष्य का हाल बतानेवाली एक ख़ानाबदोश स्त्री का फ़ोन आया और उसने सहानुभूतिपूर्वक मुफत परामर्श दिया

 

प्रथम पृष्ठ

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai