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गजलें और शायरी >> तूफान ए सागर

तूफान ए सागर

जगदीश गोदारा

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6015
आईएसबीएन :81-288-1781-7

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प्रस्तुत हैं पुस्तक तूफान ए सागर ....

Tufan-A-Sagar

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश


उनके पीछे लगे रहेंगे जब तक ना वो इकरार करेंगे।
हर हाल में अपने ख्वाबों को हम साकार करेंगे।।
सात जन्मों तक तुमने ना मिलने की कसमें खाई हैं।
कोई बात नहीं हम आठवें जन्म का इन्तजार करेंगे।।

प्यार के पत्ते नफरत की आंधियों में घिर गए।
तुमने उजाड़ना चाहा और हम हंसते-हंसते उजड़ गए।
मुर्दे बदन पर कफन डालने का रिवाज था।
तुम मरहम लगाकर एक और जख्म कर गए।।

इस दिल पर तेरा ही नाम लिखा लेंगे।
तेरे ही ख्वाब आए यादों में ऐसे बसा लेंगे।।
अगर मिल न सको तो तस्वीर भेज देना।
हम तेरी तस्वीर से ही काम चला लेंगे।

कोई दौलत, कोई तख्तोताज के दीवाने हैं।
कोई ताजमहल, कोई मुमताज के दीवाने हैं।।
शरमा कर मत छुपा चेहरे को पर्दे में।
हम चेहरे के नहीं तेरी आवाज के दीवाने हैं।।

लेखकीय


तूफान-ए-सागर के जज्बातों को गले लगा लो।
अपने प्यार की गंगा सागर में मिला दो।।
मैं कब तक रहूं प्यासा, मैं क्यों रहूं प्यासा।
मुझे सागर बना दो, सागर बना दो मुझे सागर बना दो।


मैं अपने दिल के जज्बात, 10 वर्षों की अथक मेहनत का प्यार भरा तोहफा ‘‘तूफान-ए-सागर’’ लेकर पाठकों की सेवा में हाज़िर हूं। ‘‘तूफान-ए-सागर’’ जितने ज्यादा पाठकों तक पहुंचेगी उतनी ही मैं अपनी इस पूजा को सार्थक समझूंगा। ये आपके दिल की गहराइयों तक जाकर आपके मन के तारों में ऐसा मिठास भरा सुर पैदा कर दे कि आप वर्षों तक ‘‘तूफान-ए-सागर’’ भूल न पाएं। इस कड़ी के द्वारा पाठकों का और मेरा अटूट बंधन हो जाए तो मैं इस अटूट बंधन को ही अपनी कड़ी मेहनत का प्रसाद समझूंगा। आप पाठकों का प्यार ही मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा खजाना होगा। आपके लिखे प्यार भरे खत मुझे नई राह दिखाएंगे। आपके लिखे खत बताएंगे कि मैं अपने जज्बात पाठकों तक पहुंचाने में कहां तक सफल हुआ हूं। मैं एक बार फिर आऊंगा ये वादा करते हुए हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

सागर

दो शब्द मेरे भी


मैं एक संगीत प्रेमी हूं। गांव की गलियों में गाया करता था। तभी मेरे सम्पर्क में जगदीश कुमार आया। वह भी एक संगीत प्रेमी व लेखक है मुझे पता चला कि वे अच्छे गीत व शेर लिखता है। मेरी धीरे-धीरे उससे गहरी दोस्ती हो गई। हर पल उसके ही साथ रहना, उसके शेर सुनना व अपने गीत को सुनाना। यह आदान-प्रदान हम दोनों में चलता रहता था। हम दुनिया से बेखबर अपनी ही दुनिया में खोए रहते। मेरी पसंदीदी फिल्म ‘साजन’ रही। उस फिल्म से प्रभावित होकर मैंने अपने दोस्त का नाम जगदीश से ‘‘सागर’’ में बदल दिया और उसको आगे भी गीत व शेर लिखने के लिए प्रेरित किया। मैंने सागर से कहा कि तुम अपनी किताब का नाम ‘तूफान-ए-सागर’ रख दो। मैं भगवान् से यही दुआ करूंगा कि मेरे दोस्त सागर की यह पुस्तक आसमान की बुलंदियों को छूए और वह एक कामयाब शायर व लेखक बने। उसकी कामयाबी में मैं अपनी कामयाबी मानता हूं। कृप्या भगवान् इस अच्छे इन्सान को कामयाब करना।
धन्यवाद !

दोस्त मानसिंह

वो जिन्दगी में ना आई तो उसे दिल में बसा लिया।
इस तरह रग-रग में समाकर वो मेरी खुदा बन गई।।
मैंने नजरें लड़ाई थी वर्षों पहले जिस हसीना से।
पहले वो आँखों का सपना फिर मन की पूजा बन गई।।

अपनी गलियों से गुजरने का ना दोष दो हमें।
दीवानगी खींच लाती है दिल के हाथों लाचार हैं हम।।
तेरी गलियों के बिना तड़प-तड़प के मर जाएंगे !
तेरी गलियां वो दवा है जिसके बीमार हैं हम।।

मोहब्बत करने वालों के चालान काटे जाएंगे।
वफा करनेवालों के नाम छांटे जाएंगे।।
तीन कदम मेरे लिए भी रख छोड़ना।
सुना है आशिकों को श्मशान बांटे जाएंगे।।

क्यों दिल के मरीज को दवा दे रही हो।
मोहब्बत वो भी तुम्हें क्या कह रही हो।।
पास आने से ये आग भड़क जाएगी।
क्यों आग को तुम हवा दे रही हो।।

बस इतना ही है मेरी मोहब्बत का फसाना।
मैं रोता हूं हंसता है मुझ पर जमाना।।
दिल के टूटे हुए तार यही कहते हैं
मर जाना पर किसी से दिल ना लगाना।।

तेरी आँखों में मोहब्बत का नशा है ये।
मैंने जो निभाई आज तक वो वफा है ये।।
तपती धूप में भी छत पर खड़े रहना।
अगर प्यार नहीं तो और क्या है ये।

इस पागल दिल को कोई समझाने वाला नहीं।।
अंधेरे में शमा कोई जलाने वाला नहीं।
क्यों दरवाजे पे टकटकी लगाए बैठा है नादान।
इस घर में अब कोई आने वाला नहीं।।

जब से हमें उन पे प्यार आया।
उनकी जवानी में एक नया निखार आया।।
वो इस तरह समा गए मेरी बाहों में।
जैसे आज उन्हें मेरी वफा पे ऐतबार आया।।

एक दीवाना प्यार तुझे बेशुमार करता है।
बिछड़ा यार मिल जाए खुदा से पुकार करता है।।
ये सोचकर चढ़ जाना छत पर कभी-कभार
कि एक पगला सड़कों पर खड़ा तेरा इंतजार करता है।।

ऐ दिल मत हो उनके प्रेम में पागल
तुझे जमाने वाले मजनू कहकर चिढ़ाएंगे।।
अगर पा न सका उनको जीवन में।
तो बेवफा का नाम देकर तोहमत लगाएंगे।।

लोगों के ठहाकों के साथ मैंने बहाए आंसू।
ना जाने किस-किस को मैंने दिखाए आंसू।।
महफिलों में जब भी उनका जिक्र आया यारों।
तो मेरी इन आंखों में आए आंसू।।

एक हंसी का फव्वारा सा फेंक गई वो।
मेरा दिल अंगारों सा सेंक गई वो।।
उसके दिए सारे ज़ख्मों को भूल गया।
जब एक बार मुझे मुड़कर देख गई वो।।

उजड़ा ये चमन मेरा दोबारा बसाया ना जाएगा।
दिल चीर लूंगा पर जख्म दिखाया ना जाएगा।।
सीना सामने है कत्ल कर डाल जालिम।
मगर अफसोस खंजर तुझसे उठाया ना जाएगा।।

उठने लगा जब मेरे प्यार का जनाजा।
तब हुआ उन्हें मेरी मोहब्बत का अंदाजा।।
जब मेरी कब्र खोद रहे थे दुनिया वाले।
तब रो रही थी वो, करके बंद दरवाजा।।

जिधर से वो निकलीं उनके पीछे-पीछे कारवां चल पड़ा।
जमीं सरकने लगी पीछे-पीछे उनके आसमां चल पड़ा।।
मैं पीछे गया तो लोगों ने मुझे बदनाम कर दिया।
कोई नहीं बोला जब उनके पीछे सारा जहां चल पड़ा।।

दरिया देखे हैं, किनारे देखे हैं।
सैकड़ों चांद सितारे देखे हैं।।
जो एक तरफा प्यार में जलते हैं जिन्दगी भर।
मैंने ऐसे-ऐसे आशिक बेचारे देखे हैं।।

धुआं-धुआं सा हो रहा था वो।
हर घड़ी, हर पल, रो रहा था वो।।
चलो अच्छा हुआ जो जल गया।
मुद्दत से सीने पर आग ढो रहे थे वो।।

अब भी तेरे हुस्न का असर बाकी है।
दिल टकराकर टूट जाएगा तेरे सीने में पत्थर बाकी है।।
सितमगर फिर तुझे मौका ना मिले शायद।
जी भरकर बर्बाद कर ले जो थोड़ी कसर बाकी है।।



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