लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :188
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6042
आईएसबीएन :9788170287285

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

57 पाठक हैं

प्रस्तुत है महात्मा गाँधी की आत्मकथा ....


इतनाकहकर उन्होंने उस सिपाही से बात की औऱ उसे उलाहना दिया। मैं सारी बात तो समझ नहीं सका। सिपाही डच था और उसके साथ उनकी बाते डच भाषा में हुई।सिपाही ने मुझ से माफी मागी। मैं तो उसे पहले ही माफ कर चुका था।

लेकिन उस दिन से मैंने वह रास्ता छोड़ दिया। दूसरे सिपाही को इस घटना का क्यापता होगा? मैं खुद होकग फिर से लात किसलिए खाऊँ? इसलिए मैंने घूमने जाने के लिए दूसरा रास्ता पसन्द कर लिया।

इस घटना में प्रवासी भारतीयों के प्रति मेरी भावना को अधिक तीव्र बना दिया। इन कायदो के बारेमें ब्रिटिश एजेंट से चर्चा करके प्रसंग आने पर इसके लिए एक 'टेस्ट' केस चलाने की बात मैंने हिन्दुस्तानियो से की।

इस तरह मैंने हिन्दुस्तानियो की दुर्दशा का ज्ञान पढ़कर, सुनकर और अनुभव करके प्राप्तकिया। मैंने देखा कि स्वाभिमान का रक्षा चाहनेवाले हिन्दुस्तानियो के लिएदक्षिण अफ्रीका उपयुक्त देश नहीं हैं। यह स्थिति किस तरह बदली जा सकतीहैं, इसके विचार में मेरा मन अधिकाधिक व्यस्त रहने लगा। किन्तु अभी मेरामुख्य धर्म तो दादा अब्दुल्ला के मुकदमे को ही संभाले का थी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book