जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग सत्य के प्रयोगमहात्मा गाँधी
|
4 पाठकों को प्रिय 57 पाठक हैं |
प्रस्तुत है महात्मा गाँधी की आत्मकथा ....
कस्तूरबाई में यह भावना थी या नहीं, इसकामुझे पता नहीं। वह निरक्षर थी। स्वभाव से सीधी, स्वतंत्र, मेंहनती और मेरे साथ तो कम बोलने वाली थी। उसे अपने अज्ञान का असंतोष न था। अपने बचपन मेंमैंने कभी उसकी यह इच्छा नहीं जानी कि वह मेरी तरह वह भी पढ़ सके तो अच्छाहो। इसमें मैं मानता हूँ कि मेरी भावना एकपक्षी थी। मेरा विषय-सुख एकस्त्री पर ही निर्भर था और मैं उस सुख का प्रतिघोष चाहता था। जहाँ प्रेमएक पक्ष की ओर से होता हैं वहाँ सर्वांश में दुःख तो नहीं ही होता। मैंअपनी स्त्री के प्ति विषायाक्त था। शाला में भी उसके विचार आते रहते। कबरात पड़े और कब हम मिले, यह विचार बना ही रहता। वियोग असह्य था। अपनी कुछनिकम्मी बकवासों से मैं कस्तूरबाई को जगाये ही रहता। मेरा ख्याल हैं कि इस आसक्ति के साथ ही मुझमें कर्तव्य-परायणता न होती, तो मैं व्याधिग्रस्तहोकर मौत के मुँह में चला जाता, अथवा इस संसार में बोझरुप बनकर जिन्दा रहता। 'सवेरा होते ही नित्यकर्म में तो लग जाना चाहिए, किसी के धोखा तोदिया ही नहीं जा सकता' ... अपने इन विचारों के कारण मैं बहुत से संकटों से बचा हूँ।
मैं लिख चुका हूँ कि कस्तूरबाई निरक्षर थी। उसे पढ़ाने का मेरी बड़ी इच्छा थी। पर मेरी विषय-वासना मुझे पढ़ाने कैसे देती? एक तोमुझे जबरदस्ती पढ़ाना था। वह भी रात के एकान्त में ही हो सकता था। बड़ों के सामने तो स्त्री की तरफ देखा भी नहीं जा सकता था। फिर बात-चीत कैसेहोती? उन दिनों काठियावाड़ में घूँघट निकालने का निकम्मा और जंगली रिवाज था; आज भी बड़ी हद तक मौजूद हैं। इस कारण मेरे लिए पढ़ाने की परिस्थितियाँभी प्रतिकूल थी। अतएव मुझे यह स्वीकार करना चाहिये कि जवानी में पढ़ाने केजितने प्रयत्न मैंने किये, वे सब लगभग निष्फल हुए। जब मैं विषय की नींद सेजागा, तब तो सार्वजनिक जीवन में कूद चुका था। इसलिए अधिक समय देने की मेरी स्थिति नहीं रहीं थी। शिक्षको के द्वारा पढ़ाने के मेरे प्रयत्न भी व्यर्थसिद्ध हुए। यही कारण हैं कि आज कस्तूरबाई की स्थिति मुश्किल से पत्र लिखसकने और साधारण गुजराती समझ सकने की हैं। मैं मानता हूँ कि अगर मेरा प्रेमविषय से दूषित न होता तो आज वह विदुषी स्त्री होती। मैं उसके पढने केआलस्य को जीत सकता था, क्योंकि मैं जानता हूँ कि शुद्ध प्रेम के लिए कुछभी असम्भव नहीं हैं।
|