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शंख परी

मनोहर पुरी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :19
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6137
आईएसबीएन :81-237-4128-6

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श्री मनोहर पुरी की रोचक कहानी है शंख परी ...

Shankh Pari-A Hindi Book by Manohar Puri

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

शंख परी


दक्षिण भारत का सुंदर रेतीला तट वहां एक गांव था। जहां राजा नाम का एक लड़का रहता था वह केवल नाम का ही राजा था। रहता वह एक टूटी-फूटी झोपड़ी में था।


राजा के माता-पिता बहुत पहले चल बसे थे। राजा के पास मछली पकड़ने का एक पुराना जाल था। जिसकी वह हमेशा मरम्मत किया करता था। दिन भर पेड़ों के बीच बांसुरी बजाया करता। समुद्र के किनारे मधुर गीत गाता। बाकी समय वह अपनी झोपड़ी को साफ सुथरा रखने में लगाता था।
राजा बहुत ही नेक दिल लड़का था लालची भी नहीं था। वह सूरज निकलने से पहले ही उठ जाता। समुद्र तट पर अपना जाल लेकर पहुंच जाता। वह केवल अपने भोजन भर के लिए मछलियां पकड़ता। गर्मी, सर्दी, आंधी, वर्षा और तूफान की उसे परवाह नहीं थी। वह नियम से समुद्र तट पर जाता। समुद्र के किनारे खड़े होकर गीत गाता। बांसुरी बजाता। समुद्र की लहरें खड़ी होकर उसका संगीत सुनने लगती।
एक दिन राजा के जाल में कोई भी मछली नहीं फंसी। उसने सोचा, आज तो भूखा ही रहना पड़ेगा। तब तक सूरज भी काफी चढ़ आया था। वह गर्म होती रेत पर लंबे लंबे कदम बढ़ाने लगा।

थोड़ी दूर चलने पर उसने रेत पर कुछ देखा। वह एक सुनहरी मछली थी। अचानक कहीं से एक चील आई और उसे उठाने लगीं। तभी राजा ने एक भी क्षण गंवाए बिना उस मछली को हाथों में उठाया। और तेजी से समुद्र की ओर भागा।
वहाँ पहुंचकर उसने मछली को समुद्र में छोड़ दिया।  थोड़ी देर में वह पानी के बुलबुले बनाती दौड़ गई। जाती हुई वह बहुत सुंदर लग रही थी।
रात को राजा सोया तो उसे बार बार सुनहरी मछली याद आयी। उसे लगा जैसे वह कोई सुनहरी जल परी थी। जो गलती से उसके पास आ गयी थी।



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