अतिरिक्त >> गलती का एहसास गलती का एहसासअश्वघोष
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प्रस्तुत है अश्वघोष की कहानी गलती का एहसास .....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
गलती का एहसास
रामपुर गांव में दो मित्र रहते थे। एक था भोला दूसरा किसनू। भोला
बुद्धिमान था, किसनू बलवान। दोनों को अपने गुण की पहचान थी। फिर भी दोनों
में अटूट प्रेम था। कोई भी काम करते तो साथ-साथ। गांव के लोग उन्हें
लंगोटिया यार कहते थे।
भोला और किसनू खेती का काम करते थे। उनके खेत पास-पास थे। दोनों ही मेहनती और ईमानदार थे। दोनों के पास पैसा भी था। दोनों एक दूसरे की सलाह भी मानते थे। परोपकार को अपना धर्म समझते थे। मुसीबत के समय वही याद किए जाते थे।
भोला और किसनू ने गांव की काया ही पलट दी थी। गांव में दूर-दूर तक खुशहाली थी। दूसरे गांवों के लोग इस गांव को देखने आते थे। वे भोला और किसनू से भी मिलते। उनके सुझावों को ध्यान से सुनते। अच्छी बातों को अपने गांव में लागू करते।
गांव के बाहर एक मंदिर था। जो टूटा फूटा था। भोला और किसनू ने बुद्धि और बल का सहारा लिया। मंदिर की मरम्मत करा दी। मंदिर पहले से भी अधिक सुंदर हो गया। । गांव की तरह मंदिर भी मशहूर हो गया।
अचानक एक दिन मंदिर में एक साधू आ गया। साधू मक्कार और ढोंगी था। उसकी मूंछें बहुत लंबी थीं। घुटनों को छूती थीं। इनके कारण वह मूंछबाबा कहलाने लगा। धीरे-धीरे गांव के लोग उसके जाल में फँसने लगे।
भोला और किसनू खेती का काम करते थे। उनके खेत पास-पास थे। दोनों ही मेहनती और ईमानदार थे। दोनों के पास पैसा भी था। दोनों एक दूसरे की सलाह भी मानते थे। परोपकार को अपना धर्म समझते थे। मुसीबत के समय वही याद किए जाते थे।
भोला और किसनू ने गांव की काया ही पलट दी थी। गांव में दूर-दूर तक खुशहाली थी। दूसरे गांवों के लोग इस गांव को देखने आते थे। वे भोला और किसनू से भी मिलते। उनके सुझावों को ध्यान से सुनते। अच्छी बातों को अपने गांव में लागू करते।
गांव के बाहर एक मंदिर था। जो टूटा फूटा था। भोला और किसनू ने बुद्धि और बल का सहारा लिया। मंदिर की मरम्मत करा दी। मंदिर पहले से भी अधिक सुंदर हो गया। । गांव की तरह मंदिर भी मशहूर हो गया।
अचानक एक दिन मंदिर में एक साधू आ गया। साधू मक्कार और ढोंगी था। उसकी मूंछें बहुत लंबी थीं। घुटनों को छूती थीं। इनके कारण वह मूंछबाबा कहलाने लगा। धीरे-धीरे गांव के लोग उसके जाल में फँसने लगे।
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