लोगों की राय

अतिरिक्त >> सुदामा की मुक्ति

सुदामा की मुक्ति

अमर गोस्वामी

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6166
आईएसबीएन :81-237-3398-4

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

206 पाठक हैं

छोटे गुरुजी रामभजन शहर के रहने वाले थे। शहर से गांव पांच मील दूर था। वे रोज साइकिल से पाठशाला आते थे। वे समय के पक्के थे। पाठशाला में आकर घंटी बजवा देते तब मंझले गुरुजी दीनानाथ अपने गांव से रवाना होते थे।

Sudama Ki Mukti A Hindi Book by Amar Goswami

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सुदामा की मुक्ति

छोटे गुरुजी रामभजन शहर के रहने वाले थे। शहर से गांव पांच मील दूर था। वे रोज साइकिल से पाठशाला आते थे। वे समय के पक्के थे। पाठशाला में आकर घंटी बजवा देते तब मंझले गुरुजी दीनानाथ अपने गांव से रवाना होते थे। उनका घर बगल वाले गांव में था। पाठशाला की घंटी वहां तक सुनाई पड़ती थी।

इस पाठशाला में कुल तीन अध्यापक थे। इस वक्त वे दो ही थे। बड़े गुरुजी का तबादला हो गया था। अभी तक कोई दूसरे बड़े गुरुजी आए नहीं थे। एक-दो दिन में उन्हें आ जाना था।

 मंझले गुरु जी और छोटे गुरुजी की मेज-कुर्सियां अगल-बगल के आम के पेड़ों के नीचे लगी हुई थीं। कुछ बच्चे दोनों की नजर बचाकर पत्तियों से खेल रहे थे। छोटे गुरुजी की घुड़की खाकर वे फिर पढ़ाई करने लगे। कुछ देर मौन रहने के बाद मंझले गुरुजी ने कहा, ‘पाठशाला में लड़कों की संख्या घट रही है।

जिला परिषद ने संख्या बढ़ाने के लिए कहा है। सरकार चाहती है अधिक से अधिक बच्चे पढ़ें।’ छोटे गुरु जी ने कहा, ‘‘सरकार चाहती है कि बच्चे-बूढ़े सभी पढ़ना-लिखना सीख लें। पढ़ने से ही इस देश के लोगों का भला होगा।’ मंझले गुरुजी ने कहा, ‘सब देहाती भुच्च हैं, पढ़ने-लिखने का मर्म क्या जानें।’ फिर जैसे उन्हें कोई काम याद आ गया। बोले, ‘जरा जन संपर्क कर आऊँ। मुझे गांव में कुछ काम भी है। आप जरा लड़कों को संभाले रखिए।’

छोटे गुरुजी को मालूम था कि अब मझले गुरूजी पाठशाला लौटकर आयेंगे नहीं। सारा गांव घूम-फिरकर अपने खेतों की ओर निकल जायेंगे।। उन्हें रोकना बेकार था। थोड़ी देर बाद किसी को उधर आते हुए उन्होंने देखा। आगे-आगे एक लड़का सिर पर गठरी उठाए हुए था, जिसके पीछे-पीछे एक अधेड़ आदमी खद्दर की वेशभूषा में था। दोनों थोड़ी देर में गुरुजी के सामने आकर खड़े हो गए। लड़कों ने अपने सिर का बोझ उतारकर जमीन पर रख दिया। उस व्यक्ति ने लड़के के सिर पर प्यार से हाथ फेरा।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai