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इतिहास और राजनीति >> भारत की एकता का निर्माण

भारत की एकता का निर्माण

सरदार पटेल

प्रकाशक : प्रकाशन विभाग प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :350
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 62
आईएसबीएन :

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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण


जूनागढ़ के बारे में नवाब साहब को सलाह दी गई कि आप पाकिस्तान में शरीक हो जाओ, तो आपको स्वर्ग मिल जाएगा। वह वहाँ मिल गया। अब बेचारा कराची जाकर कैदी बना बैठा है। अब उसके दिल की हालत पूछो। खुदा को याद करता होगा। उस से पूछो कि जूनागढ़ में, हिन्दुस्तान में, जेल में रहना अच्छा है, या पाकिस्तान के स्वर्ग में? हमने बहुत कहा कि यह पाकिस्तान का काम अच्छा नहीं है। हमको चैन से बैठने दो। आप अब अपना काम करो। आपके पाकिस्तान के एरिया (क्षेत्र) में जितनी रियासतें हैं, बहावलपुर है, कलात है, और हैं, उनमें चाहे जो कुछ करो। हम उसमें नहीं पड़ेंगे। पर उस समय हमारा कहना नहीं माना। अच्छी बात है। हम समझे कि जूनागढ़ में गड़बड़ कर वे समझ जाएँगे। लेकिन फिर उन्होंने काश्मीर पर अड्डा लगाया। तब फिर हमने पूछा कि भाई आप काश्मीर में क्यों जा रहे हैं? तो कहने लगे कि हम तो वहां कुछ करते नहीं। काश्मीर में तो एक आजाद गवर्नमेंट बनी है, जिसे काश्मीर के मुसलमान चला रहे हैं लेकिन वह बात ज्यादा दिन नहीं चली। असली सब बात खुलने लगी। वहाँ फ्रंटियर (सरहद) के मुसलमान गए और उन्हें पाकिस्तान की तरफ से हथियार, कपडा, खाना-पीना और सब सामान दिया गया। उन को मोटर लारी और लड़ाई की सब चीजें भी दी गई। उनको लड़ाई की तालीम देने के लिए पाकिस्तान के अफसर भी भेजे गए। तब हमने पूछा कि यह क्या कर रहे हो? खुली लड़ाई क्यों नहीं करते? तो कहने लगे, हम कुछ नहीं करते हैं।
इतना होते हुए भी हमने कोई झगड़ा नहीं किया। हमारी तरफ से, हिन्दुस्तान की सरकार की तरफ से, सारी दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों की जमायत को, जिसे यूनाइटेड नेशन्स कहते हैं, लिखा गया कि भाई, पाकिस्तान और हिन्दुस्तान दोनों देशों की सरकारें आपके यहां शरीक हैं, आप की संस्थाओं पर है, आप के संगठन में शामिल हैं, इस से आपके कानून से हम सीधी लड़ाई नहीं कर सकते। तो आप उसका फैसला कीजिए कि इस लड़ाई में पाकिस्तान का कितना हिस्सा है। जब हमने यूनाइटेड नेशन्स को इस तरह से लिखा, तब उनकी तरफ से जफरुला साहब कहते हैं कि वहां क्यों गए? बाहर जाने की क्या जरूरत है? अपना मैल और मैला कपड़ा बाहर धोने की क्या जरूरत है? वह धोना हो तो अपने घर में धोओ। अभी चार महीनों तक हम पंजाब में अपना मैला कपड़ा धोते रहे तो पूरा नहीं हुआ, अभी कहते हैं कि घर में अच्छी धोओ।
अच्छी बात है। अब अपनी गवर्नमेंट को मैं सलाह दूं कि अजी जफरुल्ला साहब कहते है कि आप वहां क्यों गए? हिन्दुस्तान की सरकार को वहां जाने की क्या जरूरत थी? वहाँ नहीं जाना चाहिए था। आप को अपनी अरजी वापस ले लेनी चाहिए। फिर आपस में लड़ लेना इस से अच्छा है। ठीक है। यदि वह चाहते हैं तो हम अपनी अरजी वापस ले लेंगे। मगर हमें बताइए कि दूसरा क्या रास्ता होगा? फिर तो हमें स्यालकोट और लाहौर होकर जाना पड़ेगा। यदि वह पसन्द हो, तो फैसला करना अच्छा है। लेकिन इस तरह से कहना और बार-बार सरासर झूठ बोलना मेरी समझ में नहीं आता। यह किस तरह का पाकिस्तान चलेगा? तो मैं कहता हूँ कि पाकिस्तान गिरेगा तो, इसी तरह से गिरेगा।

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    अनुक्रम

  1. वक्तव्य
  2. कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
  3. लखनऊ - 18 जनवरी 1948
  4. बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
  5. बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
  6. दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
  7. दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
  8. दिल्ली - 18 फरवरी 1948
  9. पटियाला - 15 जुलाई 1948
  10. नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
  11. गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
  12. बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
  13. नागपुर - 3 नवम्बर 1948
  14. नागपुर - 4 नवम्बर 1948
  15. दिल्ली - 20 जनवरी 1949
  16. इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
  17. जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
  18. हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
  19. हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
  20. मैसूर - 25 फरवरी 1949
  21. अम्बाला - 5 मार्च 1949
  22. जयपुर - 30 मार्च 1949
  23. इन्दौर - 7 मई 1949
  24. दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
  25. बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
  26. कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
  27. दिल्ली - 29 जनवरी 1950
  28. हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950

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