नेहरू बाल पुस्तकालय >> रविवार है कितना अच्छा रविवार है कितना अच्छादेबाशीष देब
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देबाशीष देब द्वारा रचित कहानी रविवार है कितना अच्छा .......
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रविवार है कितना अच्छा
आज रविवार है। मतलब कि बंटी के लिए छुट्टी का दिन !
‘‘बंटी, नौ बज चुके हैं। अब बिस्तर को छोड़ो भी !’’
मां ने आवाज दी।
‘‘मां, पहले मेरे लिए ऑमलेट बनाने का वादा करो।’’ बंटी ने कहा।
‘‘पापा, आज अखबार का ‘खेल-जगत’ पन्ना सबसे पहले मैं देखूंगा।’’
‘‘वाह ! भारत ने हाकी में सोने का पदक जीता !’’
‘‘दूध नहीं मां, आज मैं सिर्फ चाय लूंगा, पापा की तरह।’’ बंटी मुस्कराया।
‘‘आओ जिम्मी, अब हम कहानी की किताब पढ़ते हैं।’’
‘‘अब तक मैं ‘खेल-जगत’ पन्ना, एक कॉमिक और एक कहानी की किताब पढ़ चुका हूं। अब कम्प्यूटर पर खेलने का समय है।’’
‘‘मां, पांच बज गये। यानी क्रिकेट खेलने का समय।’’
‘‘बढ़िया शॉट, बंटी। छक्का होना चाहिए !!!’’
‘‘सचमुच बढ़िया स्ट्रोक !’’
‘‘मां, मैं आ गया।’’
‘‘जाओ और अच्छी तरह नहा लो, बेटा !’’ मां ने कहा।
‘‘कितना, मजा आ रहा है !’’
‘‘बंटी, नौ बज चुके हैं। अब बिस्तर को छोड़ो भी !’’
मां ने आवाज दी।
‘‘मां, पहले मेरे लिए ऑमलेट बनाने का वादा करो।’’ बंटी ने कहा।
‘‘पापा, आज अखबार का ‘खेल-जगत’ पन्ना सबसे पहले मैं देखूंगा।’’
‘‘वाह ! भारत ने हाकी में सोने का पदक जीता !’’
‘‘दूध नहीं मां, आज मैं सिर्फ चाय लूंगा, पापा की तरह।’’ बंटी मुस्कराया।
‘‘आओ जिम्मी, अब हम कहानी की किताब पढ़ते हैं।’’
‘‘अब तक मैं ‘खेल-जगत’ पन्ना, एक कॉमिक और एक कहानी की किताब पढ़ चुका हूं। अब कम्प्यूटर पर खेलने का समय है।’’
‘‘मां, पांच बज गये। यानी क्रिकेट खेलने का समय।’’
‘‘बढ़िया शॉट, बंटी। छक्का होना चाहिए !!!’’
‘‘सचमुच बढ़िया स्ट्रोक !’’
‘‘मां, मैं आ गया।’’
‘‘जाओ और अच्छी तरह नहा लो, बेटा !’’ मां ने कहा।
‘‘कितना, मजा आ रहा है !’’
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