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हास्य-व्यंग्य >> ढब्बूजी की धमक

ढब्बूजी की धमक

आबिद सुरती

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :35
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6215
आईएसबीएन :81-237-4474-9

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कुछ हँसिए और पढ़िए ढब्बूजी की धमक ...

Dabbuji Ki Dhamak -A Hindi Book by Aabid Surti

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

ढब्बूजी की धमक

जो तीन लड़के मुझसे शादी करना चाहते थे, वे आज लखपति हैं और आप ढब्बू जी रहे !
सही।
अगर तुमने उनमें से किसी एक से शादी की होती, तो आज वह ढब्बू होता और मैं लखपति।
ढब्बू जी, आप के मुन्ने का चेहरा बिलकुल उसकी मां जैसा लगता है।

नहीं जी, महीने भर से उसे डेंगू बुखार ने परेशान कर रखा है और इसी कारण उस का चेहरा ऐसा हो गया है।
आज का खाना इतना लजीज है कि अगर एक लुकमा और खा लूंगा तो शायद मैं भाषण देने के काबिल नहीं रहूंगा।
कोई इन्हें एक लड्डू और दे दो।

अरे, आप अकेले ही पधारे ? हमने तो आप से श्रीमती जी को भी साथ लाने के लिए कहा था।
सही, लेकिन आप के शहर में विस्फोटक पदार्थ साथ रखने की मनाई जो है।
यह रिपोर्ट देख कर पापा ने बुरी तरह तुम्हारी पिटाई की होगी !
नहीं तो।

बल्कि उन्होंने मुझे शाबाशी दी और कहा कि ऐसी रिपोर्ट दिखाने के लिए हौसला चाहिए।
जरा हंस कर मेरा स्वागत किया होता, तो आपका क्या बिगड़ा जाता ? उस पति को देखो !
वह कैसे हंस हंस कर अपनी बीवी से बातें कर रहा है।
वह अपनी बीवी का स्वागत करने नहीं, अपनी बीवी को विदा करने आया है।
वह कैसे हंस हंस कर अपनी बीवी से बातें कर रहा है।

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