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जंगल में जीवन

जित राय

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :28
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6222
आईएसबीएन :81-237-0184-5

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जंगल हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं लेखक ने कहानी के माध्यम से बच्चों को जंगलों की उपयोगिता के बारेमें बताया है...

Jangal Mein Jivan-A Hindi Book by Jit Ray

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

1

जंगल हमारे पहले घर हैं

कभी-कभी घर से बाहर घूमना सुख देता है। वैसे तो घर जैसी कोई जगह नहीं होती है। फिर भी कहीं  दावत में खाना नया मजा देता है। यह बदलाव मन को भला लगता है।
शहरी लोग भीड़, शोर और मोटर कारों के धुएं के बीच रहते हैं। वे जब देहात में जाते हैं, वहाँ शांत वातावरण पाते हैं। साफ हवा, खुले मैदान आँखों को  शीतलता देने वाली हरियाली देखते हैं। उन्हें वहां एक नयी ताकत महसूस होती है।

देहात में पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े अधिक दिखते हैं। देहात में तो बरगद के पेड़ है, बाँस के झुरमुट हैं। नारंगी, बेंजनी फूलों से लदी लताएँ व झाड़ियाँ हैं। यह शोभा वहां देखते ही बनती है। वसंत के मौसम में लाल-नारंगी फूल दमकते हैं। गरमी में आम के पेड़ों पर बौरों की भीनी महक होती है। इससे वातावरण में सुगंध फैल जाती है।
झाड़ियों, में खरगोश फुदकते दिखते हैं। गिलहरियाँ एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर एक दूसरे का पीछा करती हैं। बन्दर-खी-खी करके उछलते कूदते हैं। बन्दरों के  अपने बच्चे आपस में छीना-झपटी करते हुए चीखते हैं

चारों ओर उमंग होती है। फाखता मटक-मटक कर उड़ती हैं। जमीन पर चोंच मारती हैं। कभी पंख फड़फड़ाकर उड़ती हुई पास के पेड़ों पर जा बैठती हैं।

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